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    Santan Saptami 2024: कब रखा जाएगा संतान सप्तमी का व्रत? नोट करें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Mon, 09 Sep 2024 09:55 AM (IST)

    संतान सप्तमी के व्रत को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह व्रत बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस दिन लोग देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं। आमतौर पर यह व्रत विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं।

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    Santan Saptami 2024: संतान सप्तमी पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में संतान सप्तमी व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत (Santan Saptami 2024 Shubh Muhurat) 10 सितंबर को रखा जाएगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

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    संतान सप्तमी शुभ मुहूर्त (Santan Saptami 2024 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की सप्तमी तिथि 9 सितंबर को रात 9 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर संतान सप्तमी 10 सितंबर 2024, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। ऐसे में जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे 10 सितंबर को ही व्रत रखें।

    संतान सप्तमी पूजा विधि (Santan Saptami 2024 Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
    • भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष व्रत और पूजन का संकल्प लें।
    • एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर शिव परिवार की एक प्रतिमा स्थापित करें।
    • एक कलश में जल भरकर रखें और उस पर नारियल और आम के पत्ते रखें।
    • देसी घी का दीपक जलाएं और फूल, चावल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।
    • भगवान शिव और माता पार्वती को वस्त्र अर्पित करें।
    • भोग प्रसाद के रूप में पूरी और खीर चढ़ाएं।
    • व्रती संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें और फिर आरती से पूजा को पूर्ण करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और बड़ों का आशीर्वाद लें
    • अगले दिन प्रसाद से व्रत का पारण करें।

    सौभाग्य प्राप्ति मंत्र

    देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

    पुत्र-पौत्रादि समृद्धि देहि में परमेश्वरी।।

    महामृत्युंजय मंत्र

    ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।