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    Ravi Pradosh Vrat 2024: कब है पितृपक्ष का प्रदोष व्रत? इस नियम से करें भगवान शिव की पूजा, जानें तिथि और समय

    प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है। इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार का प्रदोष व्रत बहुत ही खास माना जा रहा है क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 21 Sep 2024 03:24 PM (IST)
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    Ravi Pradosh Vrat 2024: शिव पूजा की विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में रवि प्रदोष का खास महत्व है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन साधक कठिन उपवास का पालन करते हैं और भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।

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    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2024) 29 सितंबर, 2024 को अश्विन माह की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा, तो आइए इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी जानते हैं।

    कब है प्रदोष व्रत?

    वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर, 2024 दिन रविवार को शाम 4 बजकर 47 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 30 सितंबर, 2024 को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर प्रदोष व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा, जिसमें कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है।

    शिव पूजा की विधि (Shani Pradosh Rituals)

    ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। पूजा की शुरुआत करने से पहले मंदिर को साफ कर लें। फिर शिव जी की प्रतिमा और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। अलग-अलग फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि चीजें चढ़ाएं। पुरुष शिवलिंग पर जनेऊ चढ़ा सकते हैं, वहीं, महिलाएं शृंगार की सामग्री अर्पित करें। फिर सफेद चंदन से देवों के देव महादेव के माथे पर त्रिपुंड बनाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से शिव जी के वैदिक मंत्रों का 108 बार जाप करें।

    इसके अलावा शिव जी को अक्षत, मीठा पान, मौसमी फल चढ़ाएं। वहीं, महिलाएं सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए माता पार्वती को कमल का फूल चढ़ाएं। आरती से पूजा का समापन करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।