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    Ganesh Visarjan 2025: कब किया जाएगा गणपति विसर्जन? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और परंपराएं

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 11:29 AM (IST)

    गणेश पर्व हर साल भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। हालांकि कुछ साधक अनंत चतुर्दशी से पहले भी बप्पा की विदाई करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं बप्पा की प्रतिमा विसर्जन (Ganesh Visarjan 2025 Traditions) की डेट महत्व और इससे जुड़ी परंपराएं। ताकि विसर्जन में किसी भी तरह की बाधा न पड़े।

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    Ganesh Visarjan 2025: गणेश विसर्जन का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है। 10 दिनों तक चलने वाला यह पर्व बप्पा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा की प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। इस महापर्व का समापन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2025) के साथ होता है,

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    जब भगवान गणेश की प्रतिमा को पूरे सम्मान और धूमधाम के साथ विसर्जित किया जाता है, तो आइए जानते हैं गणेश विसर्जन की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और इससे जुड़ी परंपराएं।

    गणपति विसर्जन 2025 की तिथि (Ganesh Visarjan 2025 Kab-Kab Hai?)

    गणेश पर्व का समापन 6 सितंबर को होगा। इसी दिन अनंत चतुर्दशी भी मनाई जाती है, जिसे गणेश विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, लेकिन कुछ साधक अपनी परंपराओं के अनुसार 1.5, 3, 5 या 7 दिनों के बाद भी गणपति का विसर्जन करते हैं।

    गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त 6 सितंबर 2025 (Ganesh Visarjan 2025 Shubh Muhurat)

    • सुबह 07 बजकर 36 से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
    • दोपहर 12 बजकर 17 बजे से शाम 04 बजकर 59 बजे तक।
    • सायाह्न मुहूर्त (लाभ) - शाम 06 बजकर 37 बजे से रात 08 बजकर 02 बजे तक
    • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - रात 09 बजकर 28 बजे से 01 बजकर 45 बजे तक, 7 सितंबर 2025
    • उषाकाल मुहूर्त (लाभ) - सुबह 04 बजकर 36 बजे से 06 बजकर 02 बजे तक, 7 सितंबर 2025।

    गणेश विसर्जन का महत्व (Ganesh Visarjan 2025 Significance)

    गणेश विसर्जन सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से को दिखाता है। यह जीवन की नश्वरता और परमात्मा की अनंतता का प्रतीक है। भक्त इस दिन 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का जयकारा लगाते हुए उनसे अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हैं। यह विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है कि शिव पुत्र अपने साथ भक्तों के सभी दुखों और बाधाओं को भी ले जाते हैं।

    परंपराएं और विधि (Ganesh Visarjan 2025 Traditions And Rules)

    गणेश विसर्जन के दिन, भक्त पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान गणेश को अंतिम विदाई देते हैं। सबसे पहले, मूर्ति के सामने उत्तर पूजा (अंतिम अनुष्ठान) की जाती है। इस दौरान, भगवान को हल्दी, कुमकुम, मोदक और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। इसके बाद आरती की जाती है और भक्त उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते हैं।

    इसके बाद, भक्त पूरे परिवार के साथ भगवान की प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों की थाप, भक्ति गीतों और 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ गणेश विसर्जन की यात्रा शुरू करते हैं। अंत में, प्रतिमा को किसी पवित्र नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। कुछ साधक घर पर ही मिट्टी की प्रतिमाओं का विसर्जन करते हैं, जिससे जल प्रदूषण को कम किया जा सके।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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