Baisakhi 2025: कब मनाया जाएगा बैसाखी का पर्व, क्या है इसका महत्व?
बैसाखी सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन (Baisakhi 2025) को लोग बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। दरअसल वैशाख महीने तक रबी की फसल पक जाती हैं और उनकी कटाई शुरू कर दी जाती है। इसके बाद उस अनाज की पूजा कर भगवान को धन्यवाद दिया जाता है तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातें जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बैसाखी का पर्व भारत के उत्तरी क्षेत्र, खासकर पंजाब में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल किसानों के लिए फसल कटाई का प्रतीक है, बल्कि सिख समुदाय में इसका धार्मिक महत्व भी है। लोग हर साल बैसाखी का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं, क्योंकि यह (Baisakhi 2025 Kab Hai?) खुशियों और समृद्धि से जुड़ा है, तो आइए जानते हैं कि इस साल यह त्योहार कब मनाया जाएगा?
कब मनाया जाएगा बैसाखी का पर्व? (Baisakhi 2025 Date And Time)
बैसाखी का पर्व हर साल मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, यह आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है। इस साल बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल, 2025 दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
बैसाखी पर्व का धार्मिक महत्व (Baisakhi 2025 Significance)
बैसाखी मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है। इस समय रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है और किसान अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं। वे नई फसल की कटाई की शुरुआत करते हैं और अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद करते हैं। इस अवसर पर विशेष प्रार्थनाएं और पारंपरिक लोक नृत्य जैसे भांगड़ा और गिद्दा किए जाते हैं।
बैसाखी का सिख धर्म में महत्व (Importance Of Baisakhi In Sikhs)
बैसाखी का सिख धर्म में एक विशेष स्थान है। इसी दिन, 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने आनंदपुर साहिब में एक सभा आयोजित की और सिखों को एक नई पहचान दी। खालसा पंथ की स्थापना सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने समुदाय को एकता, साहस और धार्मिक निष्ठा के सूत्र में बांधा। इस दिन सिख गुरुद्वारों को सजाया जाता है, विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं और नगर कीर्तन निकाले जाते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व (Social And Cultural Importance)
बैसाखी का पर्व सामाजिक मेलजोल और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, मेलों और त्योहारों में भाग लेते हैं। इसके साथ ही एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। वहीं, इस मौके पर तरह-तरह के पारंपरिक भोजन भी बनाए जाते हैं। यह पर्व लोगों को एक साथ आने और अपनी संस्कृति और परंपराओं को मनाने का मौका देता है।
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