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    Ashtami 2024: इस व्रत कथा के बिना अधूरा है अहोई अष्टमी की पूजा, संतान की आयु होती है लंबी

    Updated: Thu, 24 Oct 2024 01:04 PM (IST)

    अहोई अष्टमी का व्रत बेहद मंगलकारी माना जाता है। इस साल यह 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस व्रत को महिलाएं अपने संतान के लिए करती हैं। यह दिन माता अहोई की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों के संतान नहीं है उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए। साथ ही अहोई व्रत कथा (Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha) का पाठ करना चाहिए।

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    Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी पर करें इस कथा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अहोई अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस साल यह व्रत दिन गुरुवार, 24 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा। यह दिन अहोई माता को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत (Ahoi Ashtami 2024) का पालन करती हैं, उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान से जुड़ी हर समस्या का निदान हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कुछ महिलाएं इस दिन चंद्रमा को देखकर व्रत खोलती हैं।

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    वहीं, यह व्रत (Ahoi Ashtami 2024 Vrat) तभी पूर्ण माना जाता है, जब इसकी कथा का पाठ किया जाए, ऐसे में पूजा के पश्चात अहोई माता की कथा का पाठ जरूर करें, जो इस प्रकार है।

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    अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha)

    पौराणिक कथा (Ahoi Mata Ki Katha) के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार रहता था, जो अपने सात बेटे और पत्नी के साथ सुखी-सुखी रहता था। एक बार दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लिपाई-पुताई के लिए खेत में मिट्टी लाने गई थी। खेत में पहुंचकर उसने कुदाल से मिट्टी खोदनी शुरू की मिट्टी इसी बीच उसकी कुदाल से अनजाने में एक साही (झांऊमूसा) के बच्चे की मौत हो गई। क्रोध में आकर साही की माता ने उस स्त्री को श्राप दिया कि एक-एक करके तुम्हारे भी सभी बच्चों की मृत्यु हो जाएगी। श्राप के चलते एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई और साहूकार के घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

    इतने बड़े दुख से घिरी साहूकार की पत्नी एक सिद्ध महात्मा के पास जा पहुंची, जिन्हें उसने पूरी घटना बताई। महात्मा तो दयालु होते हैं, तब उन्होंने साहूकार की पत्नी से कहा कि ''हे देवी तुम अष्टमी के दिन भगवती माता का ध्यान करते हुए साही और उसके बच्चों का चित्र बनाओ। इसके बाद उनकी आराधना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगो। मां भगवती (Ahoi Mata Ki Kahani) की कृपा से तुम्हे इस बड़े अपराध से मुक्ति मिल जाएगी।

    साधु की कही गई बात के अनुसार, साहूकार की पत्नी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखा और विधिवत अहोई माता की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनः जीवित हो गए और तभी संतान के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।