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Jyeshtha shukla paksh: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रारंभ, जानें शुक्ल पक्ष का महत्व

Jyeshtha shukla paksh हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष का प्रारंभ आज 11 जून दिन शुक्रवार से हो गया है। इसकी समाप्ति ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन 24 जून को होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ मास दान और ध्यान का मास है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 08:29 AM (IST)
Jyeshtha shukla paksh: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रारंभ, जानें शुक्ल पक्ष का महत्व
Jyeshtha shukla paksh : आज से ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रारंभ, जानें शुक्ल पक्ष का महत्व

Jyeshtha shukla paksh: हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष का प्रारंभ आज 11 जून दिन शुक्रवार से हो गया है। इसकी समाप्ति ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन 24 जून को होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ मास को दान और ध्यान का मास माना जाता है। इसमें से भी चन्द्रमा की बढ़ती कलाओं के कारण शुक्ल पक्ष को शुभता का द्योतक माना जाता है। सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद ज्येष्ठ मास का शुक्ल पक्ष इस बार सभी रूके हुए कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है। इस शुक्ल पक्ष में गंगा दशहरा , विनायक चतुर्थी एवं निर्जला एकादशी के त्योहार पड़ रहे हैं।

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ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले त्योहार

जेष्ठा नक्षत्र पर आधारित ज्येष्ठ मास में गर्मी का प्रभाव अधिक होने के कारण इस माह में जल संबंधित दो त्योहर मनाए जाते हैं, जो हैं गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी। गंगा दशहरा जेठ मास की दशमी तिथि को पड़ता है। मान्यता है कि गंगा जी का इसी दिन स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इस दिन गंगा स्नान का प्रवधान है, इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून को पड़ेगा। निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकदशी व्रत से महत्वपूर्ण तथा कठिन है। गर्मी के माह में होने के बाद भी इस व्रत में व्रती एक बूंद भी जल ग्रहण नहीं करते। इस वर्ष यह 21 जून को पड़ रही है। इसके अलावा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में रम्भा जयंती, विनायक चतुर्थी, भैरव जयंती आदि पर्व भी रहेगें।

शुक्ल पक्ष का महत्व

शुक्ल पक्ष, हिन्दी पंचांग के अनुसार हर माह का वह पक्ष, जिसमें चन्द्रमा की कलाएं बढ़ती रहती हैं। अमावस्या से पूर्णिमा के बीच के काल को शुक्ल पक्ष कहते हैं। चन्द्रमा की कला बढ़ती रहने के कारण यह पक्ष रोशनी से भरा होता है , अतः शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा है कि चन्द्रमा जब दक्ष प्रजापति के श्राप के कारण रोशनी खोने लगे थे, तब भगवान शिव के वरदान से प्रत्येक माह एक पक्ष चन्द्रमा की कलाएं घटती जाती हैं, जिसे कृष्ण पक्ष कहते हैं तथा एक पक्ष में जब चन्द्रमा बढ़ती कला के साथ होते हैं, तो इसे शुक्ल पक्ष कहते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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