Festivals July 2021: जुलाई 2021 तीसरे सप्ताह के व्रत एवं त्योहार, जानें कब है देवशयनी एकादशी, विनायक चतुर्थी
Festivals July 2021 जुलाई का महीना इस साल धार्मिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल जुलाई के महीने में आषाढ़ का माह चल रहा है। इस माह में हिंदू धर्म के कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह पड़ने वाले त्योहारों के बारे में...
Festivals July 2021: जुलाई का महीना इस साल धार्मिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल जुलाई के महीने में हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ का माह चल रहा है। इस माह में हिंदू धर्म के कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं। जिनमें अलग-अलग भगवानों के पूजन का विशेष महत्व है। जुलाई के इस सप्ताह की शुरूआत ही भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से हुई है, जो कि नौ दिन तक चलेगी। इसके एक दिन पहले ही रविवार को मां दुर्गा के गुप्त नवरात्रि की शुरूआत हुई है, जिसमें भी नौ दिनों तक दुर्गा मां की पूजा का विधान है। इसके अतिरिक्त इस सप्ताह में ही विनायक चतुर्थी और कंदर्प नवमी का त्योहार पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह पड़ने वाले त्योहारों के बारे में...
जगन्नाथ रथ यात्रा-
12 जुलाई दिन सोमवार को आज से विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है। ये रथ यात्रा परंपरा अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू हो कर देवशयनी एकादशी पर समाप्त होगी।
विनायक चतुर्थी-
भगवान गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत 13 जुलाई दिन मंगलवार को रखा जाएगा। विनायक चतुर्थी का व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है।
स्कंद षष्ठी व्रत-
स्कंद षष्ठी का व्रत 15 जुलाई को भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय या स्कंद देव के लिए रखा जाएगा। ये व्रत ज्यादातर दक्षिण भारत में रखा जाता है।
वैवस्वत सूर्य पूजा-
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सूर्य देव के पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा की जाती है। इसे सूर्य सप्तमी कहा जाता है, इस साल ये पर्व 16 जुलाई को पड़ रहा है।
ताप्ती जयंती और कर्क संक्रांति-
16 जुलाई को ही ताप्ती जयंती और कर्क संक्रांति का पर्व भी पड़ रहा है। ताप्ती जयंति भगवान सूर्य की पुत्री ताप्ति नदी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है, इनका उद्गम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में होता है।
कर्क संक्रांति सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश की घटना के तौर पर मनाया जाता है,इस दिन से दक्षिणायन की शुरूआत होती है।
कंदर्प नवमी या भड़ली नवमी
कंदर्प, कामदेव का ही एक रूप हैं, जो आज के दिन भगवान शिव के तीसरे नेत्र से भस्म हो जाने के बाद श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में पुनः उत्पन्न हुए थे। उनकी जयंती के रूप में कंदर्प नवमी या भड़ली नवमी का पर्व मनाया जाता है।
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