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    Jaya Ekadashi 2025: जया एकादशी पर करें इस मुहूर्त में पूजा, सफल होगा व्रत

    सभी एकादशी का अपना एक महत्व होता है। जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025 Date) को सभी में प्रमुख माना गया है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस साल यह एकादशी 8 फरवरी 2025 यानी आज के दिन मनाई जा रही है। कहते हैं कि इस दिन तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है। ऐसे में मां की पूजा-अर्चना जरूर करें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 08 Feb 2025 08:36 AM (IST)
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    Jaya Ekadashi 2025: तुलसी चालीसा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों में जया एकादशी को बहुत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। एकादशी तिथि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती हैं। कहा जाता है कि इस दिन सच्ची भक्ति के साथ पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में बरकत बनी रहती है। अगर आप भगवान विष्णु को खुश करने की कामना रखते हैं, तो आपको यह उपवास जरूर रखना चाहिए। इसके साथ ही उनकी विधिवत आराधना करनी चाहिए।

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    ऐसे में सुबह उठें और स्नान करें। फिर इस दिन (Jaya Ekadashi 2025) मां तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा का समापन करें। ऐसे करने से जीवन में समृद्धि बनी रहेगी।

    पूजा मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 13 मिनट तक था। फिर विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ काम किया जा सकता है।

    ।। तुलसी चालीसा।।

    श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

    जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

    नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

    दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

    विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।

    भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

    जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

    करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

    कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

    तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

    कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

    वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

    श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

    कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

    छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

    तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

    औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

    देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

    वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

    नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

    नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

    नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

    नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

    नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

    नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

    जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

    निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

    करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

    शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

    क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

    मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

    जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

    बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

    प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

    चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

    करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

    पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

    यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

    करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

    है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

    तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

    भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

    यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

    गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।