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    Janmashtami 2025: इस साल कब है कृष्ण जन्माष्टमी, जल्दी से नोट कर लें डेट

    Updated: Wed, 18 Jun 2025 11:52 AM (IST)

    जन्माष्टमी का पर्व (Krishna Janmashtami 2025) को पूरे भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पर साधक व्रत करते हैं और कान्हां जी के जन्म अनुष्ठान के बाद अपने व्रत का पारण करते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी।

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    Janmashtami 2025 Kab hai (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन पर विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की जाती है। 

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    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त (Janmashtami Puja Muhurat)

    इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को रात 8 बजकर 19 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 16 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर होगा। इस प्रकार जन्माष्टमी का व्रत शुक्रवार, 15 अगस्त को किया जाएगा। वहीं जन्माष्टमी व्रत का पारण शनिवार 16 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे -

    भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का मुहूर्त - रात 12 बजकर 45 मिनट से 1 बजकर 26 मिनट तक

    रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत - 17 अगस्त, दोपहर 1 बजकर 8 मिनट तक

    रोहिणी नक्षत्र समाप्त - 17 अगस्त, रात 11 बजकर 47 मिनट तक

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    जरूर करें ये काम

    जन्माष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण का शंख से अभिषेक करने का विधान है। ऐसे में इस दिन पर शंख में पंचामृत (घी, दूध, दही, शक्कर, शहद) लेकर श्रीकृष्ण जी का अभिषेक जरूर करें। इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

    कान्हा जी को लगाएं ये भोग

    जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा निशीथ समय में होती है, जो मध्यरात्रि का समय होता है। ऐसे में आप जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर पूजा के दौरान लड्डू गोपाल जी को प्रिय मानी गई माखन मिश्री का भोग लगा सकते हैं। लड्डू गोपाल के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालें, क्योकि इसके बिना उनका भोग अधूरा माना गया है। 

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    कान्हा जी के मंत्र

    1. ॐ कृष्णाय नमः

    2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

    हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।

    3. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः

    4. ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात

    5. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।

    सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।