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    Janki Jayanti 2024: जानकी जयंती व्रत का इस विधि से करें पारण, मिलेगा पूजा का पूर्ण फल

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 04 Mar 2024 09:20 AM (IST)

    सनातन धर्म में जानकी जयंती (Janki Jayanti 2024) का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन माता सीता की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक माता सीता की पूजा भक्ति भाव के साथ करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हर साल जानकी जयंती फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

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    Janki Jayanti 2024 Vrat Parana: जानकी जयंती का महत्व और पारण नियम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Janki Jayanti 2024 Vrat Parana: जानकी जयंती हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। यह दिन देवी सीता को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता सीता की पूजा करने से जीवन के कष्टों का अंत होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। हर साल जानकी जयंती फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

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    इस साल जानकी जयंती 4 मार्च 2024 यानी आज मनाई जा रही है। तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

    यह भी पढ़ें: Janaki Jayanti 2024: जानकी जयंती पर करें मां सीता की विशेष पूजा, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

    जानकी जयंती का महत्व

    इस दिन को सीता अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है। मां सीता देवी लक्ष्मी का अवतार हैं। वे उन लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने अपना जीवन पवित्रता और अपार भक्ति की मूर्ति के रूप में जिया है। वह एक महिला के संघर्ष का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भक्ति भाव के साथ पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और खुशी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    जानकी जयंती पारण नियम

    • इस दिन भक्त अत्यधिक श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं।
    • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
    • एक लकड़ी की चौकी पर राम दरबार की प्रतिमा स्थापित करें।
    • शुद्ध देसी घी का दीया जलाएं।
    • कुमकुम,चंदन का तिलक लगाएं।
    • फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
    • रामायण का पाठ करें।
    • अंत में आरती से अपनी पूजा को पूरा करें।
    • अपने व्रत का पारण प्रसाद से करें।

    रामचरितमानस चौपाई

    • सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।

      नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥

    जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।

    जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥

  • बिनु सत्संग विवेक न होई।

    राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

    सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।

    पारस परस कुघात सुहाई॥

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।