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    Janaki Jayanti 2025: जानकी जयंती पर करें इन चौपाइयों का पाठ, प्रभु श्रीराम की भी मिलेगी कृपा

    माता सीता को भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी के रूप में जाना जाता है। विवाहित महिलाओं के लिए जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2025) के दिन विधिवत रूप से राम जी और सीता जी की पूजा करने से काफी लाभ मिल सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस दिन पर आप किस तरह माता सीता के साथ-साथ प्रभु श्रीराम की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 19 Feb 2025 04:45 PM (IST)
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    Janaki Jayanti 2025 पढ़ें अर्थ सहित चौपाइयां।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर राजा जनक ने अपनी पुत्री के रूप में माता सीता को स्वीकार किया था।

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    जानकी जी को सीता, मैथिली और सिया आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसे में आप जानकी जयंती की पूजा में रामचरित मानस की इन चौपाइयों का पाठ कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। चलिए जानते हैं अर्थ सहित राम भक्ति से परिपूर्ण कुछ चौपाइयां।

    जानकी जयंती का शुभ मुहूर्त (Janaki Jayanti Shubh Muhurat)

    फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए जानकी जयंती का पर्व शुक्रवार 21 फरवरी को मनाया जाएगा।

    करें इन चौपाइयों का पाठ (Janaki Jayanti Chaupai Path)

    राम भगति मनि उर बस जाकें। दु:ख लवलेस न सपनेहुँ ताकें॥

    चतुर सिरोमनि तेइ जग माहीं। जे मनि लागि सुजतन कराहीं॥

    इस चौपाई का अर्थ है कि भगवान श्रीराम की भक्ति जिस व्यक्ति के हृदय में बसती है, उसे सपने में भी लेशमात्र दुःख नहीं सता सकता। इस जग में वे ही मनुष्य चतुर है, जो उस भक्ति रूपी मणि के लिए तरह-तरह के प्रसाय करते हैं।

    जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई।

    जिनके कपट, दंभ नहीं माया, तिनके हृदय बसहु रघुराया।

    इस चौपाई में तुलसीदास जी कहते हैं। जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें संसार में कोई दुख परेशान नहीं कर सकता। राम जी केवल उन ही लोगों के मन में वास करते हैं, जिनके मन में किसी तरह का कपट या अभिमान नहीं होता।

    राम नाम नर केसरी, कनककसिपु कलिकाल।

    जापक जन प्रहलाद जिमि, पालिहि दलि सुरसाल॥

    इस चौपाई में कहा गया है कि श्रीराम नाम नृसिंह भगवान हैं और कलयुग हिरण्यकशिपु है। जो साधक इस कलयुग में भक्त प्रह्लाद की तरह श्रीराम नाम का जप करेगा, उनके लिए राम नाम रूपी नृसिंह भगवान दुःख देने वाले हिरण्यकशिपु को (भक्ति के बाधक कलियुग को) मारकर रक्षा करेंगे।

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    भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥

    सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा। करउँ नाइ रघुनाथहि माथा॥

    इस चौपाई का भावार्थ है कि प्रेम, बैर, क्रोध या आलस्य, किसी भी भाव से राम नाम का जप करने वाले साधक का दसों दिशाओं में कल्याण होता है। मैं (तुलसीदास) उसी राम नाम का स्मरण करके और रघुनाथ को मस्तक नवाकर राम के गुणों का वर्णन करता हूं।

    अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर, भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर ।

    काम क्रोध मद गज पंचानन, बसहु निरंतर जन मन कानन।।

    राम जी की भक्ति से परिपूर्ण इस चौपाई का अर्थ है कि आप (श्रीराम) निर्गुण, सगुण, दिव्य गुणों के धाम और परम सुंदर हैं। भ्रम रूपी अंधकार का नाश करने वाले प्रबल प्रतापी सूर्य हैं। काम, क्रोध और मदरूपी हाथियों के वध के लिए सिंह के समान हैं। आप इस सेवक के मन रूपी वन में निरंतर वास कीजिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।