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    Jagannath Rath Yatra 2024: जानिए प्रभु जगन्नाथ के तीनों रथों का नाम, कितने दिन रुकते हैं मौसी के घर?

    Updated: Thu, 11 Jul 2024 04:31 PM (IST)

    भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सभी भक्तों के लिए बहुत ही महत्व रखती है जिसमें सभी भक्त श्रद्धाभाव के साथ शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस यात्रा में शामिल होने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बड़ी धूमधाम के साथ आयोजित की जाती है।

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    Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़े रोचक तथ्य -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, जो भगवान कृष्ण का ही स्वरूप हैं। जगन्नाथ का अर्थ है - 'ब्रह्मांड के भगवान'। ओडिशा के पुरी में प्रभु का भव्य मंदिर विराजमान हैं, जहां हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उनकी रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) का आयोजन किया जाता है।

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    यह यात्रा जगन्नाथ बाबा के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है। इस यात्रा के दौरान कई ऐसे अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए।

    क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा के तीनों रथों का नाम?

    ऐसा कहा जाता है कि इस यात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है, जिस वजह से दुनिया भर से भक्त इसका हिस्सा बनने आते हैं। वहीं, अगर रथ यात्रा की बात करें, तो इसमें प्रभु जगन्नाथ के अलावा दो और रथ शामिल होते हैं। पहला रथ भगवान जगन्नाथ का होता है, जिसे नंदीघोष के नाम से जाना जाता है।

    यह 42.65 फीट ऊंचा होता है। साथ ही इसमें 16 पहिए होते हैं। वहीं, दूसरा रथ उनके भाई भगवान बलराम का होता है। इसे तालध्वज नाम के नाम से जाना जाता है।  इसके साथ ही तीसरा रथ उनकी बहन सुभद्रा का होता है, जिसे दर्पदलन नाम से जाना जाता है। इन तीनों ही रथ के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

    कितने दिन रुकते हैं मौसी के घर?

    स्कंद पुराण और प्रकांड पंडितों के अनुसार, इस दिव्य यात्रा के दौरान जब जगन्नाथ स्वामी और भाई बलराम, बहन सुभद्रा नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं, तो उस दौरान वे गुंडिचा में अपनी मौसी के घर भी रुकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि तीनों भाई-बहन अपनी मौसी के घर पर तरह-तरह खूब सारे पकवान ग्रहण करते हैं, जिसके चलते उनकी उनकी तबीयत बिगड़ जाती है और फिर वे वहां पर पूरे 7 दिनों के लिए रुकते हैं। अंतत: स्वास्थ्य सही होने के पश्चात वे अपने मूल स्थान पुरी को वापस लौट आते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।