Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     Jagadhatri Puja 2025: कब की जाएगी जगद्धात्री पूजा, जानिए इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:15 AM (IST)

    जगद्धात्री पूजा, पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में से एक है, जो चार दिनों तक चलती है। जगद्धात्री पूजा (Jagadhatri Puja 2025), दुर्गा पूजा के लगभग एक महीने बाद मनाई जाती है। आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।

    Hero Image

    Jagadhatri Puja 2025: कैसा है देवी का स्वरूप। (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जगद्धात्री पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल,  बिहार, ओडिशा और त्रिपुरा में प्रसिद्ध है। हर साल कार्तिक शुक्ल नवमी यानी अक्षय नवमी के दिन पर ये पूजा की जाती है। इस पर्व को भी दुर्गा पूजा की ही तरह बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल यह पूजा कब की जाएगी। साथ ही जानते हैं इससे जुड़ी मान्यताएं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दिन होगी जगद्धात्री पूजा

    कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि का प्रारम्भ 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 31 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर होगा। ऐसे में जगद्धात्री पूजा शुक्रवार 31 अक्टूबर को की जाएगी।

    कैसा है मां जगद्धात्री का स्वरूप

    जगद्धात्री का अर्थ है "जगत की माता", "जगत की धारक" या "संसार का पालन करने वाली"। ऐसे में देवी जगद्धात्री की पूजा सम्पूर्ण जगत के पालक के रूप में की जाती है। देवी के स्वरूप की बात करें, तो वह शांत, उदार और सशक्त हैं। वह लाल वस्त्रों से विभूषित हैं और वह त्रिनेत्र धारण करती हैं। साथ ही देवी सौम्य मुद्रा में सिंह पर विराजमान रहती हैं। उन्होंने अपनी भुजाओं में खड्ग, चक्र, धनुष और बाण लिया हुआ है।

    dugra f

    ऐसे हुई शुरुआत

    मां जगद्धात्री पूजा का आयोजन सबसे पहले 18वीं शताब्दी में राजा कृष्णचन्द्र राय द्वारा पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में सार्वजनिक रूप में किया गया था। इसके पीछे कारण यह था कि राजा शारदीय दुर्गा पूजा में आवश्यक विधि से पूजा नहीं कर सके थे। इसलिए उन्होंने कार्तिक मास में देवी की पूजा जगद्धात्री रूप में की। आगे चलकर यह पूजा व्यापक रूप से प्रचलित हो गई।

    Jagadhatri Puja ग

    (Picture Credit: Freepik)

    पर्व से जुड़ी मान्यताएं

    देवी जगद्धात्री की मूर्ति बनाने का काम तब तक शुरू नहीं किया जाता, जब तक कि शारदीय नवरात्र पर्व के दौरान दुर्गा विसर्जन न कर दिया जाए। दुर्गा प्रतिमा के नदी में विसर्जित होने के बाद, उसकी मिट्टी लाकर जगधात्री की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया जाता है। यह माना जाता है कि इस समय में मां दुर्गा संसार की धात्री के रूप में धरती पर आती हैं।

    यह भी पढ़ें - Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के दिन करें इस चालीसा का पाठ, खुशियों से भर जाएगा वैवाहिक जीवन

    यह भी पढ़ें - Kartik Purnima पर जरूर करें ये पाठ, कभी खाली नहीं होंगे धन के भंडार

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।