Indira Ekadashi 2025: इंदिरा एकादशी के दिन इन जगहों पर जलाएं दीपक, जीवन से दूर होगी दुख और दरिद्रता
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025) पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से घर से दुख और दरिद्रता दूर होती है। पंचांग गणना के आधार पर इस साल यह व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ अचूक उपाय के बारे में जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इंदिरा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत पितृ पक्ष के दौरान आता है और भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025) 17 सितंबर को पड़ रही है।
वहीं, इस दिन कुछ विशेष जगहों पर दीपक जलाने से घर से दुख, दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, तो आइए उन प्रमुख स्थान को जानते हैं।
इंदिरा एकादशी पर करें ये उपाय (Indira Ekadashi 2025 Diya Remedies)
- तुलसी - तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। इंदिरा एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी खुश होती हैं। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है।
- पीपल - पीपल के पेड़ में देवताओं का वास माना जाता है। इस दिन शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- घर के मुख्य द्वार पर - घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में इंदिरा एकादशी पर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
- मंदिर - इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित दीपक मंदिर में जलाएं। यह दीपक घर के मंदिर में या फिर किसी भी धार्मिक स्थल में जलाया जा सकता है। इससे व्रत का फल दोगुना बढ़ जाता है।
- पितरों के नाम से - इस दिन पितरों के नाम से एक दीपक घर की दक्षिण दिशा में जरूर जलाना चाहिए। यह दिशा पितरों की मानी जाती है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे खुश होते हैं।
पितृ पूजन मंत्र
1. ॐ श्री पितृभ्य: नम:
2. देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगिभ्य एव च ।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
3. ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः पितृगणाय च नमः
4. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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