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    Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और पारण समय

    Updated: Sat, 28 Sep 2024 09:31 AM (IST)

    सनातन धर्म में इंदिरा एकादशी का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस उपवास को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। वहीं इस दिन (Indira Ekadashi 2024) पूजा को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है तो आइए पारण का समय और पूजा विधि जानते हैं।

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    Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी 2024 पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदुओं के बीच एकादशी का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है और भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन का उपवास रखते हैं। हर महीने में दो बार एकादशी आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह की एकादशी (Indira Ekadashi 2024) 28 सितंबर 2024 यानी आज मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    पूजन समय (Indira Ekadashi 2024 Puja Time)

    सुबह 7 बजकर 42 मिनट से 9 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

    पारण समय

    इंदिरा एकादशी का पारण (Indira Ekadashi 2024 Parana Time) 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट के बीच किया जा सकता है।

    इंदिरा एकादशी 2024 पूजा विधि (Indira Ekadashi 2024 Puja Vidhi )

    • पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
    • घर विशेषकर पूजा कक्ष को साफ करें।
    • भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें, देसी घी का दीपक जलाएं, माला, फल, तुलसी पत्र और घर में बनी मिठाई आदि का भोग लगाएं।
    • सात्विक भोजन बनाएं और उसे ब्राह्मण, गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों आदि को खिलाएं।
    • भगवत गीता पाठ का पाठ करें और गायत्री पाठ का भी आयोजन कर सकते हैं।
    • इस दिन तुलसी पत्र भूलकर भी न तोड़ें।
    • व्रती अगले दिन द्वादशी तिथि पर अपना व्रत खोलें।

    विष्णु जी पूजा मंत्र

    1. शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।

    विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

    लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

    वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम''।

    यह भी पढ़ें: Indira Ekadashi 2024: किस दौरान नहीं करना चाहिए इंदिरा एकादशी का पारण? जानें सही विधि और समय

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।