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पुराणों में मौजूद है खेलों की महिमा का गुणगान

भगवान श्रीकृष्ण गेंद से खेला करते थे। यह गेंद जब यमुना में गिर जाती है तो उसे लेने वह यमुना में छलांग लगा देते हैं। जहां उनका सामना कालियानाग से होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2016 11:13 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2016 11:36 AM (IST)
पुराणों में मौजूद है खेलों की महिमा का गुणगान

भारत में खेलों को आज से नहीं बल्कि सदियों से महत्व दिया जाता रहा है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में कई खेलों का वर्णन मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण गेंद से खेला करते थे। यह गेंद जब यमुना में गिर जाती है तो उसे लेने वह यमुना में छलांग लगा देते हैं। जहां उनका सामना कालियानाग से होता है।

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हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के अवशेषों से ज्ञात होता है कि ईसा से 2500-1550 वर्ष पूर्व सिन्धु घाटी सभ्यता में कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और खेल के उपकरण प्रयोग किए जाते थे।

शतरंज प्राचीन खेल है, इसका आविष्कार भारत में हुआ। एक किंवदंती के अनुसार शतरंज का आविष्कार लंका के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी ने इस उद्देश्य से किया था कि उसका पति रावण पूरा समय युद्ध में व्यतीत न कर सके। रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी ने भी इसी उद्देश्य से इस खेल का अनुकरण किया था।

प्राचीन भारतीय साहित्य में शतरंज खेल को चतुरंग कहा गया है। क्षत्रियों को शारीरिक विकास के लिए रथ दौड़, धनुर्विद्या, तलवारबाजी, घुड़सवारी, मल्ल-युद्ध, कुश्ती, तैराकी, भाला फेंक, आखेट आदि का प्रशिक्षण दिया जाता था।

भारतीय पौराणिक चरित्र बलराम, भीम, हनुमान, जामवंत और जरासंध आदि के नाम मल्ल-युद्ध में प्रख्यात थे। गौतम बुद्ध स्वयंधनुर्धर थे और रथ दौड़, तैराकी तथा गोला फेंकने आदि की स्पर्द्धाओं में भाग ले चुके थे। 'विलास-मणि-मंजरी' ग्रंथ में ऋदुवेदाचार्य ने इस प्रकार की घटनाओं का उल्लेख किया है।

कबड्डी खेल का उद्भव भारत में हुआ माना जाता है। इसे भारत का मूल खेल कहा जाता है। महाभारत काल में कबड्डी को एक श्वास नाम से भी जाना जाता था। राज्यवार इस खेल के उच्चारण बदल जाते हैं।

बंगाल और बिहार में जहां इस खेल में 'हु डु डु' नाम से खेला जाता है तो वहीं मध्यप्रदेश और महाराष्ट में इसे हु तु तु नाम से जाना जाता है। तमिलनाड़ु में यह खेल चंडु गुडु नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध संत तुकाराम ने अपनी साहित्यिक कृत्यों में कबड्डी को अभंग कहा है।

पोलो की उत्पत्ति भारत के मणिपुर राज्य से हुई मानी जाती है। 3100 ईपू में पोलो सगोल कांगेजेई के रूप में खेला जाता था। खेल विद्वान मानते हैं कि इसे सर्वप्रथम फारस में खेला गया था। मणिपुर के महाराजा सर चंद्रकीर्ति सिंह ने सबसे पहले कछार में ब्रिटिश अधिकारियों से इसका परिचय करवाया था।

जूड़ो युद्ध संबंधी कला है। इसका जन्म जापान में हुआ था। जिगोरो कानो को जुड़ो का जन्मदाता माना जाता है। वही, ताइक्वांडो भी प्राचीन खेल है। इस खेल की खोज मूलतः आक्रमणकारियों से बचने के लिए की गई। यह खेल जूड़ो- कराटें, कुंग-फू आदि से मिलता-जुलता है।

वास्तविकता तो यह है कि ताइक्वांडो कोरियाई मार्शल आर्ट है। जिसे सन् 1988 में सियोल ओलंम्पिक खेलों में शामिल किया गया था। जिम्नास्टिक शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द GYNOS से हुई है। लगभग यह खेल 2600 ईपू चीनियों ने शुरु किया था।

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