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    Mahabharat: महाभारत से सीखें ये चार सबक, कभी नहीं करना पड़ेगा हार का सामना

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Wed, 22 Jun 2022 08:54 AM (IST)

    Mahabharat धार्मिक ग्रंथों में से एक महाभारत से व्यक्ति काफी कुछ सीख सकता है। महाभारत में सिर्फ युद्ध के बारे में नहीं बताया गया है बल्कि अनेकों किरदा ...और पढ़ें

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    Mahabharat: महाभारत से सीखें ये चार सबक, कभी नहीं करना पड़ेगा हार का सामना

    नई दिल्ली, Mahabharat: भारत के धार्मिक ग्रंथों में से एक महाभारत में कई चीजें ऐसी बताई गई हैं जो व्यक्ति के लिए एक सबक हो सकता है। जिन्हें याद रखना बेहद जरूरी है क्योंकि ये छोटे-छोटे से लगने वाले सबक आपके पूरे जीवन को बदल सकते हैं। महाभारत में हमें ये सीख भी मिलती है कि जो अतीत में गलतियां हुई है, उसे आने वाले समय में दोबारा ना दोहराएं। वही जो अच्छा हुआ है, उसे सीखकर दुनिया में अपना एक मुकाम पा सकते हैं। जानिए कुछ ऐसे ही सबक के बारे में जो आपको एक सफल इंसान बनने में मदद करेंगे।

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    क्वांटिटी नहीं, क्वालिटी पर दें जोर

    आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी की चाहत होती है कि वह सफलता की सीढ़ियों में चढ़ता चला जाए। लेकिन जब उच्च पद में पहुंच जाते हैं, तो इस बात को भूल जाते हैं कि असल में उन्हें अपनी टीम में कैसे लोग चाहिए। इसका उदाहरण महाभारत से ले सकते हैं। जब पांडवों और कौरवों के बीच किसी भी तरह से समझौता नहीं और युद्ध की स्थिति पैदा हो ही गई, तो भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन और अर्जुन को विकल्प दिया कि एक तरफ मेरी पूरी नारायणी सेना और दूसरी तरफ मैं। दोनों में से आपको जो चुनना है चुन लीजिए। ऐसे में एक तरफ गुणों से भरपूर श्री कृष्ण थे और दूसरी तरफ भारी भरकम सेना। ऐसे में अर्जुन ने निहत्थे भगवान श्री कृष्ण को चुना लेकिन उनके पास गुण भरपूर थे। वहीं दुर्योधन से सेना को चुना। अब आप खुद जान सकते हैं कि विजय अंत में किसकी हुई। इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि गिनती की दौड़ में न भागें बल्कि गुणवत्ता को खोंजे। वहीं आपको जीत दिलाएंगी।

    समय के खुद को बदलें

    महाभारत से ये सीख भी लेनी चाहिए कि समय के साथ खुद को डाल लें, वरना आप बहुत ही पीछे रह जाएंगे। जब कौरवों से  चौसर में हारने के बाद पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास का सामना करना पड़ा। यह स्थिति काफी कठिन थी। क्योंकि पांडवों को छिपने के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। क्योंकि उन्हें हर कोई जानता था। लेकिन पांडवों ने खुद को बदलने की पूरी कोशिश की और छिपने के लिए भेष बदलकर राजा विराट के राज्य में जा पहुंचे। जहां पर अर्जुन ने राजा की बेटी उत्तरा को नृत्य सीखाया। वहीं युधिष्ठिर ने राजा को चौसर सिखाना शुरू किया। भीम जिन्हें खाने का खूब शौक था। उन्होंने खुद को बदलकर रसोइया के रूप में काम किया। वहीं द्रौपदी जिसके पीछे सैकड़ों दासियां रहती थी। उन्होंने खुद को बदलकर रानी सुदेष्णा की दासी बन कर उनकी सेवा की। इसलिए परिस्थिति के अनुसार मनुष्य को अवश्य बदलना चाहिए।

    हमेशा रखें खुद को अपडेट

    आज के समय में अगर व्यक्ति को हमेशा आगे और सफल रहना हैं तो खुद को हमेशा अपडेट रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि आधा-अधूरा ज्ञान आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जिस तरह से अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के लिए साबित हुआ। अभिमन्यु को महापराक्रमी और जन्मजात योद्धा थे। उन्होंने अपनी मां के पेट में ही चक्रव्यूह को तोड़ने की विद्या सीख ली थी। लेकिन गलती उनके सिर्फ यह हुई कि इस विद्या को लेकर वह आगे नहीं सीखा। इसका परिणाम ये हुआ कि कौरवों के चक्रव्यूह को तोड़कर वह अंदर से घूस गए लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इससे जीवित बाहर कैसे निकले और यहीं अधूरी जानकारी उनकी मौत का कारण बनी। 

    Pic Credit-  instagram/vishw_hindu_sanskriti

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'