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    शांति का महत्व: व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही है संभव

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 06 Oct 2021 08:54 AM (IST)

    Importance Of Peace जब हमारे जीवन में चहुंओर अशांति अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है तब हम शांति की महत्ता को समझकर उसकी खोज में निकलते हैं। वैसे तो शांति की प्राप्ति के लिए कई स्नोत बताए जाते हैं।

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    शांति का महत्व: व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही है संभव

    Importance Of Peace: हम सभी जीवन में शांति की कामना करते हैं। दिन-रात हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि अशांति हमसे कोसों दूर रहे। फिर भी अशांति बिन बुलाए मेहमान की तरह हमारे जीवन में प्रविष्ट कर ही जाती है। दिन भर अपने दैनिक कार्यों से, गाड़ियों की अनियंत्रित आवाज आदि से मन चिड़चिड़ा हो जाता है। मन जब चिड़चिड़ा हो जाता है तो किसी काम में नहीं रमता। काम में मन नहीं लगने से निराशा का भाव पैदा होता है। यही निराशा क्रोध को आमंत्रित करती है। क्रोध ही अशांति को जन्म देता है। यही अशांति हमारे लिए सर्वथा प्रतिकूल मानी गई है। इससे व्यक्तित्व में अस्थिरता का भाव बढ़ता है। इसके वशीभूत व्यक्ति प्राय: गलत निर्णय लेकर अपना अहित कर बैठता है।

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    जब हमारे जीवन में चहुंओर अशांति अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती है तब हम शांति की महत्ता को समझकर उसकी खोज में निकलते हैं। वैसे तो शांति की प्राप्ति के लिए कई स्नोत बताए जाते हैं। जैसे प्रकृति के साथ एकाकार होना, अच्छी किताबें पढ़ना और पसंदीदा गीत-संगीत सुनना आदि-इत्यादि। वस्तुत: ये सभी माध्यम हैं।

    शांति का वास्तविक स्नोत हमारे भीतर ही है। अपने मन को शांत करना ही आंतरिक शांति का सूत्र है। असल में ये सभी उत्प्रेरक तो हमारे अंतस को संतुलन प्रदान करने में सहायक मात्र बनते हैं।

    शांति हमारे जीवन में इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि शांत वातावरण में ही मनुष्य के रचनात्मक व्यक्तित्व का विकास होता है। शांति ही सकारात्मकता की वृद्धि करती है। शांति में ही प्रगति न केवल निहित होती है, अपितु उसे समृद्धि की पहली सीढ़ी भी माना जाता है।

    व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही संभव है। इसीलिए हमें यथासंभव शांति के सान्निध्य में रहने का प्रयास करना चाहिए। हमारी संस्कृति में तो पृथ्वी से लेकर समस्त अंतरिक्ष की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। हमें उसी संस्कृति को समृद्ध करना है।

    कुंदन कुमार