Chanakya Niti: लाइफ में रहना चाहते हैं टेंशन फ्री, तो आचार्य चाणक्य की ये 3 बातें बांध लें गांठ
Chanakya Niti आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में कहते हैं कि शत्रु की तरह ऋण भी शेष नहीं रखना चाहिए। इससे कर्ज बढ़ता जाता है। अगर ऋण लेते भी हैं तो ऋण को शेष न रखें। अर्थ (धन) दुनिया में ऋण का शेष रखना परेशानी को दावत देना है। ऋण में दबा व्यक्ति जीवन में कभी टेंशन फ्री नहीं रह सकता है और न ही तरक्की और उन्नति कर पाता है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र समेत अन्य प्रमुख रचनाओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। जानकारों की मानें तो अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफल इंसान बनना चाहते हैं, तो उसे चाणक्य की नीतियों का अध्ययन, अनुसरण और आवरण करना चाहिए। इसके अलावा, जीवन में टेंशन फ्री रहने के लिए आचार्य चाणक्य की इन 3 बातों को गांठ में बांध लेना चाहिए। आइए जानते हैं-
शत्रु
टेंशन फ्री लाइफ के बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि कभी भी शत्रु को शेष नहीं छोड़ना चाहिए। अगर शत्रु को शेष छोड़ते हैं, तो भविष्य में वह परेशानी खड़ी कर सकता है। आसान शब्दों में कहें तो दुश्मनी को या तो दोस्ती में बदल लें, या फिर दुश्मनी पूरी तरह से खत्म कर दें। इससे भविष्य टेंशन फ्री रहता है। हालांकि, परिवर्तन ही संसार का नियम है। आगामी भविष्य में भी परेशानी आएगी, लेकिन शेष शत्रु अधिक खतरनाक होता है।
ऋण
आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में कहते हैं कि शत्रु की तरह ऋण भी शेष नहीं रखना चाहिए। इससे कर्ज बढ़ता जाता है। अगर ऋण लेते भी हैं, तो ऋण को शेष न रखें। अर्थ (धन) दुनिया में ऋण का शेष रखना परेशानी को दावत देना है। ऋण में दबा व्यक्ति जीवन में कभी टेंशन फ्री नहीं रह सकता है और न ही तरक्की और उन्नति कर पाता है। इसके लिए ऋण भी शेष न रखें।
रोग
आचार्य चाणक्य की मानें तो किसी भी प्रकार की बीमारी के उपचार में लापरवाही न करें। अगर अनदेखी करते हैं, तो बीमारी बढ़ती जाती है। इससे अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके लिए अस्वस्थ होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। वहीं, उपचार को अधूरा न छोड़ें। एक बार पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद ही अपने काम पर लौटें। अगर बीमारी या रोग को शेष छोड़ते हैं, तो समय के साथ अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
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