Move to Jagran APP

Mahabharat: कैसे हुई थी कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु? जानें-संजय के साथ क्या हुआ

Mahabharat महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था। क्या आपको पता है कि पांडवों की माता कुंती धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु कैसे हुई? महाभारत के युद्ध का हाल बताने वाले संजय के साथ क्या हुआ? आइए जानते हैं इसके बारे में।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 02:45 PM (IST)
Mahabharat: कैसे हुई थी कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु? जानें-संजय के साथ क्या हुआ
Photo Source : It is Taken From Mahabharat Serial.

Mahabharat: जैसा कि आप सभी को पता है कि महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था, जिसमें दुर्योधन, कर्ण समेत सभी कौरव और पांडवों की ओर से अभिमन्यु समेत कई योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे। पांडवों को हस्तिनापुर का राज्य मिल गया, वे शासन करने लगे। क्या आपको पता है कि पांडवों की माता कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी की मृत्यु कैसे हुई? महाभारत के युद्ध का हाल बताने वाले संजय के साथ क्या हुआ? आइए जानते हैं इसके बारे में- 

loksabha election banner

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के करीब 15 साल बाद कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी हस्तिनापुर छोड़कर वन जाने का निर्णय लेते हैं। उनके साथ ही कुंती भी वन प्रस्थान करती हैं। इन तीनों के साथ संजय भी होते हैं। ये सभी वन में तपस्या कर अपने पापों से मुक्ति के लिए ऐसा निर्णय लेते हैं। वे एक वन में जाकर कुटिया बनाते हैं और वहीं र​हते हैं। प्रतिदिन सुबह और शाम को भगवान की आराधना में समय व्यतीत करते हैं। ऐसा करते हुए उनको करीब 3 वर्ष हो जाते हैं।

एक दिन धृतराष्ट्र स्नान के लिए नदी की ओर जाते हैं, तभी वन में आग लग जाती है। भयावह दानावल देखकर संजय, गांधारी और कुती डर भयभीत हो जाते हैं और कुटिया को छोड़कर धृतराष्ट्र के पास जाते हैं, ताकि उनकी भी खोज-खबर मिल जाए।

वे तीनों धृतराष्ट्र के पास पहुंचते हैं। वे कुशल होते हैं। संजय तीनों को वन छोड़कर जाने की सलाह देते हैं। इस पर धृतराष्ट्र कहते हैं कि अब यह समय भागने का नहीं है, यह हमारे पापों के प्रायश्चित का समय है, ताकि उनको अब मोक्ष मिल जाए। संजय को छोड़कर सभी अपने प्राण त्यागने का प्रण लेते हैं। इसके बाद वे एक स्थान पर बैठकर समाधि में लीन हो जाते हैं। संजय वहां से तीनों को छोड़कर हिमालय की तरफ चले जाते हैं। उधर दानावल में कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी अपने प्राण त्याग देते हैं, शरीर जलकर राख हो जाता है। संजय हिमालय में तपस्या करते हैं और नारद जी पांडवों को उनके परिजनों से साथ हुई घटना की सूचना देते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.