Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुल्हन की विदाई के समय को लेकर क्या कहता है ज्योतिष, पंडित गिरीश व्यास से जानिए कब न करें विदा

    Updated: Mon, 09 Jun 2025 07:32 PM (IST)

    Indore Raja Raghuvanshi Murder Case शादी के बाद दुल्हन की विदाई के लिए मुहूर्त निकाले जाते हैं। अच्छे समय और शुभ मुहूर्त में यदि लड़की विदाई इसलिए कराई जाती है ताकि वह दोनों कुलों के लिए धन ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि लाने वाले काम करे। उसके मार्ग की हर बाधा को ईश्वर दूर करें।

    Hero Image
    विदाई के लिए शुभ समय निकलवाने की परंपरा है, ताकि लड़की को आगे जीवन में सुख-समृद्धि मिले।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शादी के बाद लड़की की मायके से विदाई शुभ मुहूर्त में कराई जाती है। इसके लिए ज्योतिषी से पंचांग देखकर समय निकलवाया जाता है।

    इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि बेटी की शादी के बाद विदाई के लिए शुभ समय निकलवाने की परंपरा है, ताकि अच्छे समय में लड़की अपने मायके से निकलकर ससुराल पहुंचे और दोनों कुलों के लिए धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि लाने वाले काम करें। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या होनी चाहिए तिथि 

    गिरीश व्यास ने बताया कि शुभ तिथि, नक्षत्र, योग और वार में बेटी की विदाई करने से भविष्य में उसे सुख-समृद्धि मिलती है। वह जिस परिवार में जाती है वहां धन, वैभव, ऐश्वर्य को बढ़ाने के काम करती है। वह अपने कुल में वृद्धि करती है। इसलिए शुभ समय में विदाई करनी चाहिए। 

    हिंदु-विवाह के बाद जब वधू पिता के घर आकर पुनः दूसरी बार पति के घर जाती हो, तो उसकी विदाई विषम वर्ष 1, 3, 5, 7 आदि में की जाती है। उस समय सूर्य कुंभ, वृश्चिक, मेष राशि में होना चाहिए। जन्म राशि से सूर्य और बृहस्पति 4,8,12 पर नहीं होने चाहिए। 

    यह भी पढ़ें- Vastu Tips: घर में लगाएं ये पौधे, पत्नी-पत्नी के बीच महकने लगेगा रिश्ता

    दिन और नक्षत्र ये होने चाहिए 

    लड़की की विदाई के लिए रविवार, बुधवार, बृहस्पति वार, शुक्रवार के दिन श्रेष्ठ होते हैं। इसके अलावा मिथुन, मीन, कन्या, तुला और वृषभ लग्नों में विदाई करनी चाहिए। 

    लड़की की विदाई के लिए नक्षत्र लघुसंज्ञक (हस्त, अश्विनी, पुष्य), ध्रुवसंज्ञक (तीनों उत्तरा, रोहिणी), चरसंज्ञक (स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा), मूल और मृदुसंज्ञक (मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा ये 17) नक्षत्रों में द्विरागमन अर्थात पति के घर से आकर फिर से पिता के घर से पति के घर जाना उत्तम है। 

    तिथियों की बात करें तो  द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा तिथि को ही विदाई करनी चाहिए। अष्टमी, चतुर्दशी और अमावस्या के दिन विदाई नहीं करनी चाहिए। यदि मार्गशीर्ष, फाल्गुन और वैशाख मास विवाह मास से सम हो, तो भी द्विरागमन नहीं करना चाहिए। 

    यह भी पढ़ें- Jyestha Purnima 2025: मन घबराता है, तनाव रहता है… ज्येष्ठ पूर्णिमा पर चंद्रमा के लिए करें ये उपाय

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।