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    Holika Dahan 2021 History & Significance: क्या है होलिका दहन का इतिहास? जानें इसका महत्व

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 26 Mar 2021 01:13 PM (IST)

    Holika Dahan 2021 History Significance हिन्दी पंचांग के अनुसार होली का त्योहार हिन्दू कैलेंडर नववर्ष के प्रथम माह के पहले दिन मनाया जाता है वहीं होलिका दहन एक दिन पूर्व यानी वर्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च दिन रविवार को है।

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    Holika Dahan 2021 History & Significance: क्या है होलिका दहन का इतिहास? जानें इसका महत्व

    Holika Dahan 2021 History & Significance: रंगों का त्योहार होली इस वर्ष 29 मार्च दिन सोमवार को है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, होली का त्योहार हिन्दू कैलेंडर नववर्ष के प्रथम माह के पहले दिन मनाया जाता है, वहीं होलिका दहन एक दिन पूर्व यानी वर्ष के अंतिम दिन मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च दिन रविवार को है। हिन्दी पंचांग के अनुसार होलिका दहन हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होती है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको बता रहे हैं कि होलिका दहन का महत्व क्या है और इसका इतिहास क्या है।

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    होलिका दहन का इतिहास

    पौराणिक काल से ही होलिका दहन का चलन है। द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तब उनके मामा कंस ने उनको मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा था। उसे डर था कि उसके भांजे श्रीकृष्ण के हाथों ही उसका वध लिखा है। उस समय बाल कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया था। इसके खुशी में नंदगांव की गोपियों ने बाल श्रीकृष्ण के साथ होली खेली थी। वहीं, दूसरी घटना भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी है। जब भगवान शिव ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था। हालांकि बाद में उनको प्राणदान भी दिया। जिस दिन कामदेव भस्म हुए उस दिन होलिका दहन होता है। सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी है। प्रह्लाद को मारने के चक्कर में होलिका स्वयं आग में भस्म हो जाती है। उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी, इसलिए हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन होता है।

    होलिका दहन का महत्व

    होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन की आग बहुत प्रभावी और पवित्र मानी जाती है, जिसके प्रभाव से नकारात्मकता, रोग, दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं। लगाए गए उबटन के अवशेष को अग्नि में डाल देते हैं, ताकि उनके जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाए।

    लोग होलिका दहन की आग में अनाज सेंकर लाते हैं और उसको ग्रहण करते हैं, ता​कि वे निरोग रहें। होलिक दहन की राख को घर लाना भी नकारात्मकता को दूर करने का उपाय माना जाता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

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