Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Holi 2019: सोमवार को शिव पूजन से पहले जानिए रंगों के त्योहार से उनका रिश्ता

    By Molly SethEdited By:
    Updated: Mon, 18 Mar 2019 09:16 AM (IST)

    सोमवार को शिव जी का पूजन करने से पहले Holi 2019 की शुरूआत में पंडित दीपक पांडे से जानें होली आैर भोलेनाथ का रिश्ता। ...और पढ़ें

    Hero Image
    Holi 2019: सोमवार को शिव पूजन से पहले जानिए रंगों के त्योहार से उनका रिश्ता

    भंग की तरंग के अलावा भी है संबंध

    21 मार्च 2019 बृहस्पतिवार को होली का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन लोग सारे सामाजिक आैर आर्थिक अंतर भुला कर एक दूसरे के साथ रंगों का 

    सोमवार, शिव, भांग आैर होली

    आज सोमवार है जब भगवान शिव की आराधना की जाती है, साथ ही इन दिनों होली की तैयारियां भी चल रही हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रंगवाली होली के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुलाल और पानी के रंगों से उत्सव मनाया जाता है। रंगवाली होली को धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष ये पर्व 21 मार्च गुरुवार को मनाया जायेगा। इस अवसर पर भांग की ठंडार्इ का महत्व होता है जो कि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। परंतु पंडित दीपक पांडे बता रहे हैं इसके अतिरिक्त एक आैर रिश्ता है शंकर जी आैर होली के मध्य।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्‍या है शिव और होली का संबंध

    होली और भगवान भोलेनाथ के संबंध को लेकर एक रोचक कहानी है। ये कहानी विरक्‍ति में निहित आसक्‍ति के बारे में बताती है। इसे जानने के लिए आइये इसकी इस कथा को पढें और मनन करें। इस पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती, भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर गया ही नहीं। इसके बाद देवी ने कामदेव से सहायता मांगी। इस कहानी के अनुसार होली और शिव का संबंध वैसा ही है जैसा भूल और क्षमा का, पार्वती के बाद कामदेव और उसके बाद शिव की भूल पर क्षमा कर देने का भाव ही इस कथा का सार है।

    एेसी है कथा

    पार्वती के अनुरोध पर प्रेम के देवता माने जाने वाले कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्पबाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना ग़ुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद शिवजी ने पार्वती को देखा तो एक अलग ही प्रभाव दिखा। तब कुछ कामदेव के बाण का असर और कुछ पार्वती की आराधना का फल की जिसके चलते, शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। तब तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। तभी से कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। यानि ये सिद्ध हुआ कि भूल के लिए क्षमा कर देने से दूसरे के जीवन में बहार आ सकती है।