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    Holashtak 2023: होलाष्टक के 8 दिनों में रखें इन खास बातों का ध्यान

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 09 Feb 2023 02:02 PM (IST)

    Holashtak 2023 सनातन धर्मे में होलाष्टक का विशेष महत्व है। बता दें कि होली से 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाती है और इन आठ दिनों की अवधि में सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और लोगों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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    Holashtak 2023: होलाष्टक की अवधि में जरूर रखें इन बातों का ध्यान।

    नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Holashtak 2023 Start Date: फाल्गुन मास में होलिका दहन और होली पर्व का विशेष महत्व है। लेकिन बता दें कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इन आठ दिनों की अवधि में कई मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है और होलिका दहन के बाद उन्हें पुनः प्रारंभ किया जाता है। बता दें कि इस वर्ष होलिका दहन 7 मार्च 2023, मंगलवार (Holika Dahan 2023 Date) के दिन किया जाएगा। ऐसे में होलाष्टक 28 फरवरी से शुरू हो जाएगा। आइए जानते हैं क्यों शुभ नहीं होता है होलाष्टक और व्यक्ति को क्या नहीं करना चाहिए।

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    होलाष्टक में शुभ कार्यों पर मनाही क्यों? (Holashtak 2023)

    ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलाष्टक की अवधि में ग्रहों की चाल को शुभ नहीं मानी जाती है। वह इस अवधि में उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। इसलिए इस होलाष्टक में किए गए शुभ कार्यों से दुष्परिणाम उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही पारिवारिक कलह, धन हानी और बीमारी इत्यादि का भय बढ़ जाता है।

    होलाष्टक में न करें यह कार्य (Holashtak 2023 Rules)

    • शास्त्रों में बताया गया है कि होलाष्टक के समय विवाह, गृह-प्रवेश, मुंडन, नामकरण और उपनयन संस्कार इत्याधि जैसे 16 अनुष्ठानों पर रोक लग जाती है।

    • होलाष्टक के आठ दिन की अवधि में हवन और यज्ञ पर भी रोक लग जाती है। साथ ही इस अवधि में निवेश या व्यापार भी नहीं शुरू किया जाता है। इससे नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।

    • होलाष्टक की अवधि में नया मकान, चल-अचल सम्पत्ति जैसे गहने और गाड़ी की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। साथ ही इस दौरान मकान का निर्माण भी नहीं शुरू करना चाहिए।

    होलाष्टक का महत्व (Holashtak 2023 Importance)

    शास्त्रों में बताया गया है कि होलाष्टक के समय भगवान की उपासना के लिए शुभ माना जाता है। इस अवधि में भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही होलाष्टक के आठ दिनों में व्यक्ति को निरंतर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।