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Holashtak 2023: जानिए क्यों होलाष्टक के आठ दिनों को माना जाता है अशुभ?

Holashtak 2023 होली में अब कुछ ही दिन शेष हैं। बता दें कि होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक शुरू हो जाता है। इस अवधि में सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। क्या आप जानते हैं कि क्यों होलाष्टक को अशुभ माना जाता है?

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Fri, 24 Feb 2023 12:28 PM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2023 12:28 PM (IST)
Holashtak 2023: जानिए क्यों होलाष्टक के आठ दिनों को माना जाता है अशुभ?
Holashtak 2023: जानिए क्या है होलाष्टक में मांगलिक कार्य न करने का कारण?

नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Holashtak 2023 Date and Katha: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होली महापर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन होली के आठ दिन पहले यानि फाल्गुन मास के अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाता है और इसका समापन पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के दिन होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि होलाष्टक के इन आठ दिनों में कई प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार इत्यादि पर रोक लग जाती है और होली पर्व से इन कार्यों को पुनः शुरू किया जाता है। लेकिन क्या आप होलाष्टक के पीछे का कारण जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।

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होलाष्टक 2023 तिथि (Holashtak 2023 Start Date)

प्रत्येक वर्ष होलाष्टक आठ दिन का होता है, लेकिन इस वर्ष यह नौ दिनों तक रहेगा। यह 27 फरवरी 2023 से शुरू होगा और इसका समापन होलिका दहन के दिन यानि 7 मार्च 2023 को होगा।

होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ (Holashtak 2023 Reason)

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलाष्टक की अवधि में आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। पहले दिन यानि अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों पर इन ग्रहों का दुष्प्रभाव पड़ता है, जिसका असर सभी राशियों के जीवन पर भी पड़ सकता है। जिस वजह से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यही कारण है कि होली से पहले इन आठ (इस वर्ष नौ) दिनों में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।

होलाष्टक के पीछे छिपा वैज्ञानिक कारण (Holashtak 2023 Scientific Reason)

बता दें कि इस अवधि में मौसम में तेजी से परिवर्तन आता है। सूर्य की रौशनी तेज हो जाती है और साथ ही ठंडी हवा भी चलती है। जिसके कारण कई लोग बीमारी की चपेट में आ जाते हैं और मन विचलित रहता है। इसलिए इस स्थिति में मांगलिक कार्य को करना अशुभ माना जाता है। इसलिए होलाष्टक की अवधि में व्यक्ति को पूजा-पाठ अधिक करना चाहिए और हवन अथवा व्रत रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक पर ग्रहों का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है।

होलाष्टक से जुड़ी पौराणिक कथा (Holashtak 2023 Katha)

दैत्यराज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और वह हर समय श्रीहरि की भक्ति में लीन रहता था। ऐसे में अपने पुत्र की भक्ति को समाप्त करने के लिए और उसकी हत्या के लिए दैत्यराज भक्त प्रहलाद को होलाष्टक के इन आठ दिनों में कठोर यातनाओं का दंड देता रहा। अंतिम दिन जब हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर चिता में बैठी तो भगवान विष्णु की कृपा से वह बच गया, लेकिन होलिका उस आग में भस्म हो गई। यही कारण है कि इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और होलाष्टक के अंतिम दिन होलिका दहन कर अधर्म पर हुई धर्म की जीत का उत्सव मनाया जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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