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    Hinglaj Mata: पाकिस्तान में भी है मां दुर्गा का शक्तिपीठ, जानिए शक्ति पीठ की पौराणिक कथा

    Hinglaj Mata मां दुर्गा के शक्ति पीठों के बारे में आप सबने सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि इन शक्ति पीठों में से एक पाकिस्तान में भी है। आज भी वहां मां दुर्गा का पूजन होता है।

    By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Thu, 30 Sep 2021 06:10 PM (IST)
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    पाकिस्तान में भी है मां दुर्गा का शक्तिपीठ, जानिए शक्ति पीठ की पौराणिक कथा

    Hinglaj Mata: मां दुर्गा के शक्ति पीठों के बारे में आप सबने सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है, कि इन शक्ति पीठों में से एक पाकिस्तान में भी है। आज भी वहां मां दुर्गा का पूजन होता है। पौरिणिक कथा के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे उन स्थानों पर शक्ति पीठ की स्थापना हुई है। इनमें से ही मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है हिंगलाज माता का शक्ति पीठ है । ये शक्ति पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में स्थित है। हर साल नवरात्रि के समय यहां मेला लगता है और मां के भक्तों की धूम रहती है। हिंगलाज माता का दर्शन वहां के मुस्लिम अनुयायी भी करते हैं। आइए जानते हैं हिंगालाज माता के शक्ति पीठ के बारे में....

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    हिंगलाज माता शक्ति पीठ

    पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त की लारी तहलीस में हिंगलाज माता का शक्ति पीठ आज भी स्थापित है। ये कराची से करीब 250 किलो मीटर की दूरी पर पहाड़ियों के बीच में स्थित है। हिंगलाज माता को यहां हिंगुला माता या नानी का मंदिर भी कहते हैं। हिंगुला माता को जाटों की कुल देवी माना जाता है। आज भी भारत के गुजरात, राजस्थान, पंजाब और पूरे पाकिस्तान से श्रद्धालू यहां आते हैं। नवरात्रि के अवसर पर आज भी यहां मेला लगाता है। यहां तक कि हिंगलाज माता के भक्तों में पाकिस्तान के मुसलिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। वो लोग इस मंदिर को नानी का मंदिर और मां दुर्गा को बीबी नानी कहते हैं।

    हिंगलाज माता की पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के दाह के बाद जब भगवान शिव उनके शरीर को लेकर ताण्डव कर रहे थे। तब उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चला कर मां सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। मान्यता है कि उस काल में हिंगलाज में माता सती का ब्रह्मरंध्र अर्थात सिर गिरा था। तब से यहां हिंगलाज मात के शक्ति पीठ की स्थापना हुई है। इस शक्ति पीठ का वर्णन शिव पुराण, देवी भगवती पुराण और कलिका पुराण आदि में मिलता है। हिंगलाज माता के भैरव कोट्टवीशा या भीमलोचन कहे जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहां पर भगवान गणेश, माता काली और गोरखनाथ की धूनी भी स्थापित हैं।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'