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    Astro Tips: क्या आपकी भी रात 3 बजे खुल जाती है नींद, जानिए क्या है इसका मतलब

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sun, 18 Jun 2023 12:47 PM (IST)

    आजकल इस भागदौड़ के समय में लोग देर से सोने व देर से उठने के आदि हो गए हैं। हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके भगवान की पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान की कृपा बनी रहती है।

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    Astro Tips रात में 3 बजे नींद खुलने का क्या अर्थ है।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Astro Tips: रात को कई लोग गहरी नींद में सोते हैं तो वहीं कुछ लोगों की आंख रात में कई बार खुलती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी एक निश्चित समय पर ही आंख खुलती है। ऐसे में अगर आपकी आंख तीन बजे या उसके आस-पास खुलती है तो इसका क्या मतलब है। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की नींद 3 से 5 के बीच खुलती है तो इसका अर्थ है कि कोई दैवीय शक्ति आपको संदेश देना चाहती है।

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    इस समय में क्या है खास

    हिंदू धर्म में सुबह 3 बजे से 4:30 बजे के बीच का समय देवताओं का समय माना जाता है। इसे ब्रह्म मुहूर्त भी कहते हैं। यह भी माना जाता है कि इसी समय में माता सरस्वती हमारी जिह्वा पर विराजमान होती हैं। और इस समय जो भी मांगा जाता है, माता  सरस्वती उसे पूरा करती हैं।

    रात 3 बजे नींद खुलने का ये है अर्थ

    यदि आपकी नींद 3 बजे अचानक खुलती है। तो इसका मतलब सृष्टि व दिव्य शक्ति चाहती है कि आप उठे और अपने इष्टदेव की आराधना करें। आप परमात्मा का जाप करें क्योंकि काफी शक्तियां आपका इंतजार कर रही हैं, जो आपको मिल सकती है। वहीं अगर आपकी नींद सुबह 3 से 5 के बीच खुलती है तो इसका मतलब कोई अनजान शक्ति आपसे संपर्क करने कोशिश कर रही है। जो आपके जीवन के प्रति जागरूक है।

    ब्रह्म मुहूर्त में उठने से क्या है लाभ

    ब्रह्म मुहूर्त रात्रि के अंतिम प्रहर का तीसरा भाग है। धर्म शास्त्रों में निद्रा का त्याग करने का यह सर्वोत्तम समय है। ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह करीब 4 बजे से लेकर 5 बजकर 30 मिनट तक होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर विधि-विधान से जीवन व्यतीत करते हैं उन पर सदैव दैवीय कृपा बरसती है। ब्रह्म मुहूर्त के समय पूरा वातावरण शांत और निर्मल होता है। इस काल में देवी-देवता विचरण कर रहे होते हैं। सत्त्वगुणों की प्रधानता होती है। प्रमुख मंदिरों के कपाट भी ब्रह्म मुहूर्त में ही खुल जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'