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    Hindu Religion: क्या है पुंसवन संस्कार, शिशु के लिए क्यों माना गया है जरूरी

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Thu, 22 Jun 2023 05:21 PM (IST)

    संस्कार का सामान्य अर्थ है- किसी को सुसंस्कृत करना या शुद्ध करके उपयुक्त बनाना। संस्कार से ही हमारा सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन पुष्ट होता है और हम सभ्य कहलाते हैं। 16 संस्कारों में दूसरे नंबर पर आने वाला पुंसवन संस्कार विशेष महत्व रखता है। यह संस्कार गर्भावस्था के दौरान किया जाता है। जो शिशु के मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।

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    Hindu Religion हिंदू धर्म में 16 संस्कार कौन-से हैं।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hindu Religion: हिंदू धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों के अनुसार जीवन-यापन करने से मनुष्य जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इस संस्कारों में दूसरे नंबर पर है पुंसवन संस्कार। आइए जानते हैं कि हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है। और यह संस्कार करना क्यों जरूरी माना गया है।

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    क्यों जरूरी है पुंसवन संस्कार

    पुंसवन संस्कार महिला द्वारा गर्भ धारण करने के 3 महीने बाद किया जाता है। माना जाता है कि यह वह समय है जब शिशु के मस्तिष्क का विकास होना शुरू होता है। इसी संस्कार से शिशु में संस्कारों की नींव रखी जाती है। मान्यताओं के अनुसार पुंसवन संस्कार करने से संतान हष्ट पुष्ट पैदा होती है साथ ही इस कर्म से गर्भ में शिशु की रक्षा भी होती है।

    कैसे होता है पुंसवन संस्कार

    इस संस्कार में एक विशेष औषधि को गर्भवती स्त्री की नासिका के छिद्र से भीतर पहुंचाया जाता है। हालांकि औषधि ग्रहण करना जरूरी नहीं। विशेष पूजा और मंत्र के माध्यम से भी यह संस्कार किया जा सकता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुंसवन संस्कार के लिए सबसे अच्छे दिन सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार माने गए हैं। इस दिन पूजा की थाली में चावल, रोली, फूल, तुलसी, गंगाजल और खीर शामिल करें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। गर्भवती महिला के हाथ में कलावा बांधकर घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भगवान को लगाए गए भोग का सेवन करें यही संस्कार होता है।

    किन बातों को ध्यान रखना जरूरी

    गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अच्छी किताबें पढ़ना चाहिए, खुशनुमा वातावरण में रहना चाहिए, इस दौरान खान-पान का खास ख्याल रखें। मन में अच्छे विचार लाने चाहिए। पति-पत्नी के बीच अच्छे रिश्ते होना चाहिए जिससे आपको उत्तम संतान की प्राप्ति हो।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'