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33 कोटि या 33 करोड़, क्या है हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की संख्या?

कई वर्षों से एक प्रश्न चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें कहा गया है कि हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवता हैं या 33 करोड़ देवी-देवता हैं? इस प्रश्न का उत्तर जानते हैं आचार्य श्याम चंद्र मिश्र से।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Fri, 19 May 2023 05:15 PM (IST)Updated: Fri, 19 May 2023 05:15 PM (IST)
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता या 33 कोटि देवता।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क; हिंदू धर्म में कई ऐसी चीजें हैं, जिनपर आज भी गहन शोध चल रहा है। साथ ही कई अनसुलझे विषयों में एक ऐसा विषय भी उपस्थित है, जिसपर आज भी दो मत बंटे हुए हैं। वह विषय है कि "क्या हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं या 33 कोटी देवता? कई धर्माचार्य और धार्मिक विशेषज्ञ अपने विचार प्रकट कर चुके हैं। लेकिन आज भी यह केवल एक प्रश्न ही है। कोटि शब्द को ही दो तरह से बताते हैं, एक 'प्रकार' और दूसरा 'करोड़'। कई लोग यह भी मानते हैं कि आम बोलचाल की भाषा में कोटि को ही करोड़ बोला जाता है। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, आज भी इस विषय पर उलझन बनी हुई है। आइए, आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं, क्या है असल सत्य और 33 करोड़ व कोटि में अंतर?

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जानिए क्या है 33 कोटि देवताओं का नाम

आचार्य श्याम चंद्र मिश्र बताते हैं कि यदि हम 33 कोटि देवी-देवताओं की बात करते हैं। तो इसमें आठ वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कई जगहों पर इंद्र व प्रजापति के स्थान पर दो अश्विनी कुमारों को 33 कोटी में शामिल किया गया है। वह 33 कोटि इस प्रकार हैं-

अष्ट वसुओं के नाम- 1. आप 2. ध्रुव 3. सोम 4. धर 5. अनिल 6. अनल 7. प्रत्यूष 8. प्रभाष

ग्यारह रुद्रों के नाम- 1. मनु 2. मन्यु 3. शिव 4. महत 5. ऋतुध्वज 6. महिनस 7. उम्रतेरस 8. काल 9. वामदेव 10. भव 11. धृत-ध्वज

बारह आदित्य के नाम- 1. अंशुमान 2. अर्यमन 3. इंद्र 4. त्वष्टा 5. धातु 6. पर्जन्य 7. पूषा 8. भग 9. मित्र 10. वरुण 11. वैवस्वत 12. विष्णु

इन सभी देवताओं से 33 कोटि देवताओं की संख्या पूर्ण होती है और इन्हीं के अन्य नाम भी अलग-अलग प्राचीन धर्माचार्यों के मत हेतु जुड़ जाते हैं। कुछ धार्मिक क्षेत्र से जुड़े लोग कोटि को ही 'करोड़' कहते हैं, किंतु एक मत यह भी है कि 33 करोड़ देवी-देवता भी हो सकते हैं।

गोस्वामी तुलसीदास जी के एक चौपाई से समझिए इसका अर्थ

आचार्य मिश्र आगे बताते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के एक चौपाई में लिखा है, कि 'सियाराम मय सब जग जानी। करहु प्रणाम जोरि जुग पानी।।' जिसका अर्थ है कि पूरे संसार में श्री राम निवास करते हैं, सब में भगवान हैं और हमें उन को हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए। इस बात का प्रमाण यह है कि हिंदू धर्म में भगवान श्री राम सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान विष्णु के अवतार थे। इसलिए उन्हें देवता रूप में आज पूजा जाता है। वहीं सनातन परंपरा में अग्नि, वृक्ष, भूमि, जल और वायु इन सभी की पूजा का विधान है। यहां तक कि श्राद्ध पक्ष में कौए की पूजा की जाती है और उन्हें अन्नदान दिया जाता है। एकादशी तिथि के दिन चीटियों की भी पूजा की जाती है, वहीं मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की पूजा का भी विधान है। भगवान गणेश के रूप में हाथी की पूजा की जाती है और वराह रूप में एक शूकर की पूजा भी की जाती है। श्रीमद्भागवद्गीता में भी यह बताया गया है कि विश्व में मौजूद सभी जीव-जंतुओं में 'श्री हरि' वास करते हैं। जिससे लगभग 33 करोड़ देव रूपी जीव पूर्ण होते हैं।

हिंदू धर्म में 33 कोटि देवता हैं या 33 करोड़ देवी-देवता हैं? इस प्रश्न के जवाब में अंततः यही निकलकर आता है कि 33 कोटि देवता का वर्णन भी सही है और वहीं 33 करोड़ देवी देवता हैं, यह बात भी गोस्वामी तुलसीदास जी के एक चौपाई से इस बात से सिद्ध हो सकती है.

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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