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    Happy Rakshabandhan 2020: बदलते समय में बहनों के लिए क्या है रक्षा सूत्र? जानें रक्षाबंधन का वास्तविक अर्थ

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 01 Aug 2020 01:30 PM (IST)

    Happy Rakshabandhan 2020 रक्षाबंधन भावनाओं से जुड़ा पर्व है। आज के संदर्भ में एक-दूसरे की रक्षा का भाई-बहन का वादा क्या महज रक्षासूत्र बांधने से पूरा हो सकता है।

    Happy Rakshabandhan 2020: बदलते समय में बहनों के लिए क्या है रक्षा सूत्र? जानें रक्षाबंधन का वास्तविक अर्थ

    Happy Rakshabandhan 2020: रक्षाबंधन भावनाओं से जुड़ा पर्व है। आज के संदर्भ में एक-दूसरे की रक्षा का भाई-बहन का वादा क्या महज रक्षासूत्र बांधने से पूरा हो सकता है। इस पारंपरिक उत्सव में दिखावा इसे खोखला बना रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और कवयित्री व लेखक डा. अनामिका रक्षाबंधन के के बदलते मायनों को कुछ इस प्रकार व्यक्त करती हैं..

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    शान-शौकत दिखाने का अर्थ नहीं

    हम बहुत उत्सवधर्मी हो गए हैं। दिखावे के चक्कर में सब कुछ अंदर से खोखला हो जाता है। मुझे लगता है कि गंभीरता से हाथ में धागा बांध देने और एक ऐसा छोटा सा प्रतीकात्मक उपहार दे देने, जो उसके जीवन में ज्यादा महत्व रखता है, से रक्षा बंधन की परंपरा निभाई जा सकती है। प्रतीक का जवाब तो प्रतीक ही होगा ना। शान-शौकत दिखाने का कोई मतलब नहीं होता।

    भावनात्मक संरक्षण मिलता है

    जब भी आप किसी से प्रेम करते हैं तो दोनों तरफ से संरक्षण मिलता है विशेष रूप से भावनात्मक। भाई-बहन दोनों एक-दूसरे को संरक्षण देते हैं। रक्षा का मतलब भावनात्मक संरक्षण से ज्यादा है। अब वह सामंती समय तो रहा नहीं कि घोड़ों पर सवार होकर दूसरे लोग आपकी रक्षा करेंगे। अब तो हम सब महिलाओं को अपनी सुरक्षा खुद करनी है। अपने भीतर ही वह तेजस्विता अर्जित करनी है कि हम ही सभी की सुरक्षा के लायक हो सकें और अपनी सुरक्षा तो करें ही। मुझे लगता है कि रक्षाबंधन का स्वरूप बदलना चाहिए। भावनात्मक सुरक्षा यदि भाई-बहन को देता है तो बहन भी भाई को देती है।

    बहन भी रक्षा करती है भाई की

    जब से कानून बदले हैं और संपत्ति का अधिकार बहनों को मिलने लगा तब से मैंने देखा है कि भाई-बहन के रिश्तों में एक तनाव सा आ गया है। मध्यमवर्गीय परिवारों में बांटने के लिए सिर्फ एक घर ही होता हे और बहनें नहीं चाहतीं कि इसमें दखल दें, लेकिन उन्हें ससुराल में ताने सुनने को मिलते ही हैं। क्योंकि जितनी आसानी से कानून बनते हैं उतनी आसानी से सामाजिक मान्यताएं नहीं बदलतीं। यहां हर स्त्री को अपने भाई को बचाने की जरूरत पड़ती है। और वे भाई को बचाती हैं। मुझे लगता है कि माता-पिता को अपनी बच्ची के नाम पर अपने घर में एक कोना जरूर रखना चाहिए ताकि वह कभी भी आए तो स्वाभिमान और शालीनता के साथ रह सकें। उसे एक जगह मिले। यह एक संरक्षण ही होगा।

    शिक्षा ही रक्षा-सूत्र है सबसे बड़ा

    संरक्षण का धागा शिक्षा है। शिक्षा का जो सूत्र पहनकर बहनें जीवन में कदम बढ़ाती हैं वे ही भाइयों का मान रखने की कोशिश कर रही हैं। प्रेम में कोई भी चीज परस्पर हो तो ज्यादा अच्छी होती है। दोनों ही एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध हों। शिक्षा ही रक्षासूत्र है। पहले के जमाने में जब बहनों का संपत्ति में हिस्सा नही दिया जाता था तो उन्हें इन्हीं माध्यमों से थोड़ा-थोड़ा करके कुछ उपहार स्वरूप देते थे। अब भाई-बहन बराबरी से उपहार ले जाते हैं। बराबरी का रिश्ता बन गया है जिसकी हमें नए सिरे से व्याख्या करनी पड़ेगी।

    - यशा माथुर