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    Hanuman Birth Katha: कैसे हुआ हनुमान जी का अवतरण? शिव जी जुड़ा है इसका कनेक्शन

    ज्योतिषियों के अनुसार मंगलवार (Mangalwar Ke Upay) का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की उपासना करने के लिए उत्तम माना जाता है। ऐसा करने से कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही बिगड़े काम पूरे होते हैं। आइए जानते हैं हनुमान जी (Hanuman birth Katha) का अवतरण कैसे हुआ?

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 25 Nov 2024 02:24 PM (IST)
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    Lord Hanuman: हनुमान जी के जन्म की कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन भगवान श्रीराम के परम हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन बजरंगबली की जातक विधिपूर्वक उपासना करते हैं। साथ ही व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को करियर और कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि हनुमान जी के सामने कोई शक्ति टिक नहीं पाती है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन उन्हें बूंदी के लड्डू समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। क्या आपको पता है कि हनुमान जी (Hanuman Birth Katha) का अवतरण कैसे हुआ? अगर नहीं, तो आइए पढ़ते हैं बजरंगबली के जन्म से जुड़ी कथा के बारे में।

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    इस तरह हुआ हनुमान जी का अवतरण

    पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था। एक दिन माता अंजनी ने मानव रूप धारण किया था, जिसके बाद वो शिखर की ओर जा रही थीं और तो उस दौरान तेज हवा चल रही थी और वो चारों ओर देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है, लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। माता अंजनी को लगा कि शायद कोई राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा है, जिसकी वजह उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण स्त्री का अपमान कर रहा है।

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    पवन देव हुए अवतरित

    उस दौरान पवन देव अवतरित हुए और माता अंजनी से माफी मांगने लगे। उन्होंने कहा कि ऋषियों ने आपके पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है। इस वजह से मैं विवश हूं और मुझे आपके शरीर को स्पर्श करना पड़ा। मेरे अंश से आपको एक तेजस्वी बालक की प्राप्ति होगी। उन्होंने आगे कहा कि मेरे स्पर्श से भगवान रुद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट हुए हैं। इस तरह से माता अंजनी के घर में देवों के देव महादेव ने बजरंगबली जी के रूप में अवतरित हुए।

    इन मंत्रों का करें जप

    मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र

    ऊँ अं अंगारकाय नम:

    ऊँ भौं भौमाय नम:।।

    मंगल ग्रह मंत्र

    ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।

    कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

    मंगल गायत्री मंत्र

    ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।