Hanuman Janmotsav 2023: हनुमान जयंती और जन्मोत्सव? मनाने के साथ ही जान लें इन दोनों के बीच का अंतर भी
Hanuman Janmotsav 2023 हनुमान जन्मोत्सव का दिन हिंदूओं के लिए बहुत ही खास होता है। जिसे कुछ लोग हनुमान जयंती भी कहते हैं। तो क्या दोनों एक ही चीज़ हैं? और अगर नहीं तो क्या है इन दोनों के बीच का अंतर जान लें यहां।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Hanuman Janmotsav 2023: आज 6 अप्रैल गुरुवार को देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है। वैसे साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है। चैत्र के अलावा कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी हनुमान जन्मोत्सव होता है। हिंदुओं के लिए आज का दिन बहुत ही खास होता है, जिसे वो पूरे हर्षौउल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं। कुछ लोग इस हनुमान जयंती भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जयंती और जन्मोत्सव दोनों अलग-अलग हैं। तो आज के दिन को हनुमान जयंती या जन्मोत्सव क्या कहना होगा सही, आइए जान लेते हैं यहां।
जयंती और जन्मोत्सव में क्या मुख्य अंतर है
दरअसल जयंती और जन्मोत्सव का अर्थ भले ही जन्मदिन से होता है। लेकिन जयंती का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में जीवित नहीं है और किसी विशेष तिथि में उसका जन्मदिन है। लेकिन जब बात हो भगवान हनुमान की तो इन्हें कलयुग संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है। हनुमान आठ चिरंजीवी में से एक हैं। उन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि भगवान राम से अमर होने का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया और इसी स्थान में कलयुग में धर्म के रक्षक के रूप में हनुमान जी निवास करते हैं। इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को जयंती के बजाय जन्मोत्सव कहना उचित होगा।
देवी-देवताओं के लिए जयंती नहीं, जन्मोत्सव होता है इस्तेमाल
शास्त्रों के अनुसार देवी-देवता को अमर माना गया है। संसार के समाप्त होने पर वे परमशिव तत्व में लीन हो जाते हैं। ऐसे में उनके जन्मदिवस को जन्मोत्सव या प्राकट्योत्सव कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति अब जीवित नहीं है तो उसके जन्मदिन को जयंती कहा जाएगा, जैसे- महात्मा गांधी जयंती, रविन्द्रनाथ टैगोर जयंती, महावीर जयंती आदि।
अष्ट चिरंजीवियों में एक है बजरंग बली
ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार हनुमानजी को अष्ट चिरंजीवियों में एक माना गया है। अष्ट चिरंजीवियों के नाम हैं: (1) अश्वथामा
(2) दैत्यराज बलि
(3) वेद व्यास
(4) हनुमान
(5) विभीषण
(6) कृपाचार्य
(7) परशुराम
(8) मार्कण्डेय ऋषि
माना जाता है कि जब तक ये संसार रहेगा, तब तक ये लोग भी जिंदा रहेंगे।
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