Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Guru Pushya Yog 2023: इस दिन पड़ रहा है साल का अंतिम गुरु पुष्य योग, जानें इसका महत्व और तिथि

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Fri, 15 Dec 2023 12:39 PM (IST)

    Guru Pushya Yog 2023 गुरु पुष्य नक्षत्र पर बृहस्पति और शनि का शासन है जो एक अद्भुत संयोजन है जिस दिन गुरुवार के दिन बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में आता है तब यह शुभ योग बनता है जिसे गुरु पुष्य योग के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत महत्व है। इस दिन लोग कोई भी आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधि कर सकते हैं।

    Hero Image
    Guru Pushya Yog 2023: इस दिन पड़ रहा है साल का अंतिम गुरु पुष्य योग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Pushya Yog 2023: गुरु पुष्य नक्षत्र का दिन सनातन धर्म में बहुत ही खास माना गया है। कहा जाता है, इस विशेष दिन खरीदारी करने से धन-वैभव में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़ता है, तो गुरु पुष्य योग बनता है। ऐसे में 29 दिसंबर को साल का अंतिम गुरु पुष्य योग बन रहा है, जिसका महत्व और पूजा समय जानना सभी के लिए बेहद जरूरी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरु पुष्य योग तिथि

    गुरु पुष्य नक्षत्र की शुरुआत 29 दिसंबर सुबह 3 बजकर 5 मिनट से होगी। साथ ही इसका समापन 30 दिसंबर सुबह 3 बजकर 10 मिनट पर होगा। कहा जाता है, इस दिन खास चीजों की खरीदारी करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती। इसलिए लोग इस दिन खरीदारी करते हैं।

    गुरु पुष्य योग का महत्व

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र और 12 राशियां हैं। पुष्य 27 में से आठवें नक्षत्र में से एक है, जो लोग इस नक्षत्र के दौरान पैदा होते हैं वे शक्तिशाली, ऊर्जावान, आध्यात्मिक, जानकार और समझदार होते हैं। इस नक्षत्र पर बृहस्पति और शनि का शासन है, जो एक अद्भुत संयोजन है, जिस दिन गुरुवार के दिन बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में आता है तब यह शुभ योग बनता है, जिसे गुरु पुष्य योग के नाम से जाना जाता है।

    वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत महत्व है। इस दिन लोग कोई भी आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधि कर सकते हैं, इस दिन सोना खरीदना बेहद फायदेमंद माना गया है। साथ ही नए व्यवसाय की शुरुआत इस दिन की जा सकती है।

    ध्यान मंत्र

    रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,

    विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।

    पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,

    विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।

    बृहस्पति पूजा मंत्र

    • ॐ सुराचार्यो देवतायै नम:
    • ॐ बृं बीजाय नम:
    • ॐ शक्तये नम:
    • ॐ विनियोगाय नम:
    • ऊं अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।

    यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी पर भूलकर भी न करें ये काम, जानें क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।