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    गुरु पुर्णिमा: हजारों शिष्य करेंगे गुरु वंदना

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    Updated: Mon, 22 Jul 2013 04:11 PM (IST)

    साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि गुरु ही आध्यात्म की सहायता से मनुष्य की सांसारिक वृत्तियों को दूर कर उसमें सद्गुण पैदा करता है। बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्त नहीं कर सकता। आचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी का कहना है कि गुरुपूर्णिमा पर्व शिष्यों को सद्गुरु की शरणागति प्रदान करता है। जहां से शिष्यों को परमात्मा श्री बांक

    वृंदावन। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि गुरु ही आध्यात्म की सहायता से मनुष्य की सांसारिक वृत्तियों को दूर कर उसमें सद्गुण पैदा करता है। बिना गुरु के कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्त नहीं कर सकता।

    आचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी का कहना है कि गुरुपूर्णिमा पर्व शिष्यों को सद्गुरु की शरणागति प्रदान करता है। जहां से शिष्यों को परमात्मा श्री बांकेबिहारीजी महाराज से मिलने का मार्ग प्रशस्त होता है।

    सुदामा कुटी के महंत सुतीक्ष्णदास महाराज कहते हैं परमात्मा से मिलने का मार्ग गुरु ही प्रशस्त करते हैं। गुरु दीक्षा जीवन की परपूर्णिता का सर्वोच्च शिखर है। मानव को अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए।

    बैरागी आश्रम के महंत हरीबोल बाबा कहते हैं कि दीक्षा का विधान जानने वाला ही सच्चा गुरु है। पाश्चात्य की धमक से गुरु-शिष्य की परंपरा का रूप बदल गया है। प्राचीन काल में शिष्य बनाने से पहले गुरु शिष्य को परखते थे।

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    गुरु पूर्णिमा पर बहुत से लोग पहली बार अपने गुरु का पूजन करेंगे। गुरुजन उनके कान में मंत्र फूंक कर दीक्षा देंगे। इसके लिए वृंदावन के मंदिर व आश्रमों में तो शिष्यों की भीड़ रविवार से ही पहुंचनी शुरू हो गयी। इसके अलावा गोवर्धन, राधाकुंड, नंदगांव, बरसाना, कोकिलावन, मांट, बल्देव, महावन, गोकुल आदि स्थानों पर स्थित आश्रमों में भी हजारों शिष्य पहुंच चुके हैं। जयगुरुदेव मेला में हजारों लोग अपने गुरु स्थान पर मत्था टेकने के लिए तीन-चार दिन से डेरा डाले हैं। मुंबई के अंधेरी से आए राजेंद्र अग्रवाल अपनी ज्योतिष गुरु के पूजन को पिछले 15 साल से यहां आ रहे हैं। महाराष्ट्र के ही थाणो से आए रविंद्र कुमार महावन स्थित चिंताहरण महादेव के दर्शन करने और गुरु पूजन के लिए आए हैं। सोनभद्र से प्रशांत कुमार भी वृंदावन के निंबार्क संप्रदाय के गुरु का पूजन करने को आए हैं। उनका कहना है कि इस दिन पूजन करने से आत्मिक शांति मिलती है।

    खास बात ये कि ब्रज में गुरु पूजन की परंपरा साधु-संतों तक ही सीमित नहीं है। बल्कि यहां अध्यापक, कलाकार और तकनीकि विशेषज्ञ से लेकर हर विधा के पारंगत गुरुजनों का पूजन भी किया जाएगा।

    संत निरंकारी मंडल द्वारा गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर आयोजित साप्ताहिक सत्संग में निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज के प्रति आस्था व्यक्त की। प्रचारक लीलाधर खत्री ने आयोजित गोष्ठी में सत्गुरु को मानव जाति का हितैषी बताया। जिसका कोई गुरु नहीं उसके लिए गुरु पूर्णिमा का कोई महत्व नहीं। संयोजक हरविंद्र कुमार, किशोर स्वर्ण, मदनमोहन सहगल, नेपाल सिंह, संतोष चौधरी, अशोक कुमार, भरतकुमार, मोहन सिंह आदि उपस्थित थे।

    वृंदावन-गुरु पूर्णिमा पर्व आज सोमवार को है। लेकिन वृंदावन में एक दिन पहले ही आश्रम, मठों में उत्सव शुरू हो चुके थे। श्रद्धालुओं में गुरु दीक्षा लेने का क्त्रम शुरू हो चुका है। वात्सल्य ग्राम में दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा व आचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी से दीक्षा लेने वाले शिष्यों की भीड़ रविवार को देखी गयी।

    कार्यक्त्रम में साध्वी ऋतंभरा ने नये शिष्यों को दीक्षित कर उन्हें धर्म के पथ पर चलने का संकल्प दिलाया। कार्यक्त्रम में डॉ. अभय कुमार राय, साध्वी सुहृदया गिरि, साध्वी स्वरूप गिरि, गोपाल पटवा, स्वामी सत्यशील, स्वामी सत्यदेव, साध्वी सद्गुणा, साध्वी सत्यसिद्धा मौजूद रहे। उधर ठा. श्रीराधासनेहबिहारी मंदिर में देश-विदेश से आये हजारों भक्तों को आचार्य मृदुलकृष्ण गोस्वामी ने दीक्षा देकर हिंदू धर्म की रक्षा व सद्कर्म करने का संकल्प दिलाया। कार्यक्त्रम में आचार्य अतुलकृष्ण गोस्वामी, बिहारीलाल वशिष्ठ, बालकृष्ण गौतम, सीएल राठी, हंजराज, शिवकुमार अरोड़ा, वर्षा सहगल, सीएल लता, रेणु आदि उपस्थित थे।

    गुरु का स्थान सर्वोच्च- केशवधाम स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित गुरु पूर्णिमा कार्यक्त्रम में गुरू पूर्णिमा पर्व के महत्व को छात्रों के समक्ष रखते हुए आचार्य श्यामदत्त ने कहा कि हमारे समाज में गुरु का स्थान सर्वोच्च है। केशवधाम के निदेशक पदम सिंह ने कहा कि आचार्य का स्थान भगवान से भी बढ़कर है। प्रधानाचार्य ब्रजबल्लभ शर्मा ने कहा कि बच्चों को शिक्षित करना एक पुण्य कार्य है।

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