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    गुरु पूर्णिमा : जिंदगी सफल बनाने के लिए गुरु कौन-कौन से देते हैं मंत्र

    आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। इस साल 9 जुलाई को यह पर्व मनाया जा रहा है।

    By abhishek.tiwariEdited By: Updated: Sun, 09 Jul 2017 11:22 AM (IST)
    गुरु पूर्णिमा : जिंदगी सफल बनाने के लिए गुरु कौन-कौन से देते हैं मंत्र

    गुरु चरण वंदना से मिलता है ज्ञान

    गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

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    यह है गुरु मंत्र

    गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।

    "अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः"

     

    दीक्षा के होते हैं 8 चरण :

     

    1. समय दीक्षा- साधना पथ की ओर अग्रसर करना, विचार शुद्ध करना इसमें आता है। 

    2. ज्ञान दीक्षा- इसमें विचारों की शुद्धि की जाती है। 

    3. मार्ग दीक्षा- इसमें बीज मंत्र दिया जाता है।

    4. शाम्भवी दीक्षा- गुरु, शिष्‍य की रक्षा का भार स्‍वंय ले लेते हैं जिससे साधना में अवरोध न हो।

    5. चक्र जागरण दीक्षा- मूलाधार चक्र जागृत किया जाता है।

    6. विद्या दीक्षा - इसमें शिष्‍य को विशेष ज्ञान तथा सिद्धियां प्रदान की जाती हैं।

    7. शिष्‍याभिषेक दीक्षा - इसमें तत्‍व, भोग, शांति निवृत्‍ति की पूर्णता कराई जाती है।

    8. पूर्णाभिषेक दीक्षा - इसमें गुरु अपनी सभी शक्‍ितयां शिष्‍य को प्रदान करते हैं। जैसे स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंस ने स्‍वामी विवेकानंद को दी थीं।