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    Pradosh Vrat 2025: आज है गुरु प्रदोष व्रत, नोट करें शिव पूजन विधि, भोग मंत्र से लेकर सबकुछ

    Updated: Thu, 27 Mar 2025 09:57 AM (IST)

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन शिव पूजन करने और कठिन उपवास रखने से जीवन में आने वाली सभी मुश्किलें दूर होती हैं। इस बार यह व्रत ( Guru Pradosh Vrat 2025) आज के दिन यानी 27 मार्च को रखा जा रहा है।

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    Pradosh Vrat 2025: गुरु प्रदोष व्रत का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और इस तिथि पर संध्याकाल में पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। गुरु प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। गुरुवार के दिन पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को विद्या, बुद्धि और धन संबंधी लाभ मिलते हैं। यह व्रत जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है, तो आइए यहां इस दिन (Guru Pradosh Vrat 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    गुरु प्रदोष व्रत 2025 पूजा मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat 2025 Puja Muhurat)

    विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।निशिता मुहूर्त देर रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। वहीं, इस मौके पर सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक साध्य योग का संयोग बन रहा है। इस दौरान आप किसी भी तरह के शुभ काम और पूजा कर सकते हैं।

    भगवान शिव प्रिय भोग - ठंडई, लस्सी, सफेद मिठाई।

    भगवान शिव को भोग अर्पित करते समय करें इस मंत्र का जाप

    • "त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सुमुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।"

    गुरु प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि (Guru Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

    साधक सुबह उठकर स्नान करें। फिर शिव जी के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लें। एक चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। गंगाजल से प्रतिमा को अच्छी तरह साफ करें। सफेद चंदन का तिलक लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं। खीर, बर्फी, फल, मिठाइयों, ठंडई, लस्सी आदि चीजों का भोग लगाएं।

    प्रदोष व्रत कथा, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। प्रदोष काल के दौरान दोबारा से विधिपूर्वक पूजा करें।

    गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Guru Pradosh Vrat 2025 Significance)

    गुरु प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इसलिए भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें और उनकी कृपा प्राप्त करें। यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस व्रत को करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही धन और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।