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    Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत पर 'ब्रह्म' योग समेत बन रहे हैं ये 6 संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल

    ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2024) पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होता है। ज्योतिष शास्त्र में गरु प्रदोष व्रत पर विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Jul 2024 10:00 PM (IST)
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    Guru Pradosh Vrat 2024: आषाढ़ महीने में कब है गुरु प्रदोष व्रत?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Pradosh Vrat 2024: हर माह कृष्ण और शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार 18 जुलाई को है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। गुरु प्रदोष व्रत करने से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही शत्रुओं का नाश होता है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। धार्मिक मत है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं-

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    गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 जुलाई को संध्याकाल 07 बजकर 41 मिनट पर होगा। गुरु प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

    ब्रह्म योग

    ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 14 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 19 जुलाई को ब्रह्म बेला में 04 बजकर 45 मिनट पर होगा। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं।

    शिववास योग

    गुरु प्रदोष व्रत पर शिववास का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान शिव कैलाश पर विराजमान होंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। गुरु प्रदोष व्रत पर शाम 08 बजकर 44 मिनट तक भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

    करण

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बव, बालव और कौलव करण के भी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं। ज्योतिष तीनों करण को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य भी कर सकते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।