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    Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, नोट करें पारण विधि और पूजा का शुभ समय

    Updated: Thu, 18 Jul 2024 09:24 AM (IST)

    इस बार गुरु प्रदोष व्रत 18 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है। गुरुवार को पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का व्रत रखने से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत पारण विधि -

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। इस शुभ दिन पर भक्त व्रत रखते हैं और अपने परिवार की भलाई के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना करते हैं। माना जाता है कि यह व्रत शिव जी को अति प्रिय है। इस बार यह व्रत (Guru Pradosh Vrat 2024) 18 जुलाई, 2024 दिन गुरुवार यानी आज रखा जा रहा है। गुरुवार को पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है।

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    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ज्यादा फलदायी मानी जाती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

    शिववास योग

    गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव शाम 08 बजकर 44 मिनट तक माता पार्वती के साथ कैलाश पर वास करेंगे।

    ब्रह्म योग

    इस तिथि पर ब्रह्म योग का निर्माण प्रात: 06 बजकर 14 मिनट पर हो चुका है। इसके साथ ही इसका समापन 19 जुलाई, 2024 को सुबह होगा।

    प्रिय पुष्प - सफेद कनेर

    भोग - खीर, हलवा, फल।

    शिव पूजन समय

    वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई, 2024 को रात्रि 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 19 जुलाई, 2024 को रात्रि 07 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 18 जुलाई को गुरु प्रदोष का व्रत रखा जाएगा। इसके अलावा इस तिथि पर शिव पूजा रात 08 बजकर 44 से रात 09 बजकर 23 मिनट के बीच की जाएगी।

    पारण नियम

    व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। भगवान शंकर और माता पार्वती का अभिषेक करें। देसी घी का दीया जलाएं और प्रतिमा को फूल और माला से सजाएं। सफेद चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं। उन्हें खीर, हलवा, फल, मिठाइयों आदि का भोग लगाएं। पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें।भाव के साथ गा गाकर आरती करें। शंखनाद से पूजा का समापन करें। इसके बाद शिव प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें।

    व्रती सात्विक भोजन से ही अपना व्रत खोलें। तामसिक चीजों से दूर रहें। गलत आचरण से दूर रहें। व्रत समापन के बाद दान-पुण्य जरूर करें, इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

    पंचाक्षरी मंत्र

    ॐ नम: शिवाय।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।