Guru Gobind Singh Jayanti Date 2021: आज है गुरु गोबिंद सिंह जयंती, जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण बातें
Guru Gobind Singh Jayanti Date 2021 सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था। इस दिन को सिख समुदाय गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपर्व के रुप में मनाता है।
Guru Gobind Singh Jayanti Date 2021: सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती इस वर्ष आज 20 जनवरी दिन बुधवार को है। गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1966 में पटना साहिब में हुआ था। इस दिन को सिख समुदाय गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपर्व के रुप में मनाता है। इस दिन गुरुद्वारों में रोशनी होती है। अरदास, भजन, कीर्तन के साथ लोग मत्था टेकते हैं। प्रात:काल में नगर में प्रभात फेरी निकाली जाती है। लंगर का भी आयोजन किया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी का बचपन
गुरु गोबिंद सिंह जी की माता का नाम गुजरी तथा पिता का नाम गुरु तेग बहादुर था। गुरु तेग बहादुर जी सिखों के 9वें गुरु थे। घरवाले बालक गोबिंद को प्यार से गोबिंद राय के नाम से बुलाते थे। गुरु गोबिंद सिंह जी का बचपन पटना में बीता। वहां वे बाल्यकाल में तीर-कमान चलाने, बनावटी युद्ध करने जैसे खेल बच्चों के साथ खेलते थे। इस वजह से बच्चे उनको सरदार मानने लगे थे। उनको हिंदी, संस्कृत, फारसी, बृज आदि भाषाओं की जानकारी हो गई थी।
बहादुरी की मिसाल थे गोबिंद सिंह जी
नवंबर 1675 में गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद गोबिंद सिंह जी ने 09 वर्ष की उम्र में पिता की गद्दी संभाली। वे निडर और बहादुर योद्धा थे। उनकी बहादुरी के बारे में लिखा गया है— “सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ।”
खालसा पंथ और पांच ककार
गुरु गोबिंद जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने प्रत्येक सिख को कृपाण या श्रीसाहिब धारण करने को कहा। उन्होंने ने ही खालसा वाणी "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" दी थी। उन्होंने ही सिखों के लिए 'पांच ककार' केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा अनिवार्य किया।
धर्म रक्षा के लिए परिवार का बलिदान
गुरु गोबिंद जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया। उनके दो बेटों को जिंदा दीवारों में चुनवा दिया गया था। उन्होंने अक्टूबर 1708 को प्राण त्याग दिए। उनके बाद से गुरु ग्रंथ साहिब सिखों के स्थाई गुरु हो गए।