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    Gupt Navratri June 2025: मां की 8 भुजाएं, त्रिनेत्र क्यों हैं… किस चीज का देते हैं संकेत

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 03:08 PM (IST)

    Gupt Navratri 2025 date गुप्त नवरात्र 2025 आषाढ़ माह में 26 जून से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के हर रूप की अपनी विशेषता है। उनकी आठ भुजाएं हर दिशा से भक्तों की रक्षा करने का संकेत देती हैं जिनमें अलग-अलग अस्त्र और शस्त्र होते हैं।

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    Gupt Navratri June 2025: हर रूप में वह भक्तों का कल्याण करती हैं।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के 9 दिन मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। उन्हें अम्बे, जगदम्बे, शेरावाली, पहाड़ावाली विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। 

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    मां दुर्गा ने ये 9 रूप अलग-अलग वजहों से लिए। हर रूप में वह भक्तों का कल्याण करती हैं। इन नौ दिनों में अखंड ज्योति जलाकर मां का ध्यान और आराधना करने से समस्त दुखों का नाश होता है। इस मौके पर चलिए जानते हैं उनके रूप में उनकी भुजाओं, त्रिनेत्र का क्या संकेत है। 

    मां दुर्गा के हैं 9 रूप

    नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग रूप की पूजा की जाती है। उनके नौ रूप नौ महाविद्याओं को दर्शते हैं। प्रथम शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठवां कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौंवा सिद्धिदात्री का रूप उन्होंने लिया है। हर रूप एक खास गुण और शक्ति का प्रतीक है। 

    शक्ति के बिना अधूरे हैं शिव

    शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक है। दोनों के मिलन से ही सृष्टि की रचना और संचालन होता है। शिव के बिना शक्ति निष्क्रिय हैं, और शक्ति बिना शिव के स्थिर नहीं हो सकते हैं। शिव जहां स्थिरता, ध्यान, और संहारक के रूप में जाने जाते हैं। वहीं, शक्ति, शिव की ऊर्जा है, जो ब्रह्मांड की रचना, पालन और संहार का कारण बनती हैं। 

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    आठ दिशाओं से करती हैं रक्षा 

    मां दुर्गा की मूर्तियों में 8 हाथ दिखाए जाते हैं। हर हाथ में अलग-अलग अस्त्र और शस्त्र होते हैं, जो बुराई से लड़ने के प्रतीक के रूप में दिखाए जाते हैं। मां की अष्ट भुजाएं यह संकेत देती हैं कि वह अपने भक्तों की हर दिशा से रक्षा करती हैं। 

    वह ‘त्रिनेत्रधारी’ भी कही जाती हैं। उनकी बाईं आंख चंद्रमा का प्रतीक है, जो शांति और प्रेम से परिपूर्ण है। दाईं आंख सूर्य का प्रतीक जो ऊर्जा और शक्ति देती है। वहीं, तीसरी आंख अग्नि का प्रतीक है, जो बुराई को नष्ट करने वाली ताकत का प्रतीक है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।