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    Gudi Padwa 2024: क्यों खास है गुड़ी पड़वा का पर्व ? जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य

    Updated: Mon, 01 Apr 2024 11:35 AM (IST)

    गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2024) का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस साल यह 9 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन मराठी लोगों के नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस पर्व को युगादी चेती चंड और नव संवत्सर उगादी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर महिलाएं अपने घरों को सुंदर गुड़ी से सजाती हैं जो शुभ शुरुआत को दर्शाता है।

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    छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है गुड़ी पड़वा का पर्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gudi Padwa 2024: गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। यह मराठी लोगों के नव वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दिन मराठी समुदाय के लोग अपने घरों के बाहर समृद्धि के प्रतीक गुड़ी को लगाते हैं और पूजा करके गुड़ी पड़वा मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा पूरे साल खुशियां, सफलता और समृद्धि लाती है।

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    गुड़ी पड़वा तिथि और समय

    इस साल गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यह हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 और शुभ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ भी मेल खाता है। युगादी, चेती चंड और नव संवत्सर उगादी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाने वाला यह पर्व चैत्र प्रतिपदा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।

    गुड़ी पड़वा का अर्थ

    गुड़ी का मतलब है ध्वज यानी झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। यह रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता यही वह दिन है, जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत की थी। यह दिन महाराष्ट्र में बड़ी भव्यता और दिव्यता के साथ मनाया जाता है।

    छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है गुड़ी पड़वा का पर्व

    महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसे लोग विजय ध्वज के समान अपने घरों के बाहर फहराते हैं। यह पर्व हिंदू विजय और समृद्धि का प्रतीक है।

    क्यों खास है गुड़ी पड़वा का पर्व

    महिलाएं स्नान के बाद अपने घरों को सुंदर गुड़ी से सजाती हैं, जो शुभ शुरुआत को दर्शाता है। गुड़ी को पारंपरिक रूप से एक बांस की छड़ी का उपयोग करके तैयार किया जाता है, जिसके ऊपर एक उल्टा चांदी, तांबा या पीतल का बर्तन रखा जाता है। इसके बाद केसरिया रंग के कपड़े, नीम या आम के पत्तों और फूलों से सजाकर इसे घर के सबसे ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है।

    इसके अलावा लोग अपने प्रवेश द्वारों को रंगीन रंगोलियों से सजाते हैं, और प्रसाद के रूप में पूरन पोली और श्रीखंड जैसे विशेष व्यंजन तैयार करते हैं।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।