Gopeshwar Mahadev: इस मंदिर में महिलाओं की तरह होता है महादेव का श्रृंगार, जानिए पौराणिक कथा
Gopeshwar Mahadev महादेव की पूजा करने से जन्म-मरण से लोगों को मुक्ति मिलती है। भगवान शिव त्रिदेव- ब्रह्मा विष्णु और महेश में से एक हैं। महादेव के भक्त उन्हें भोलेनाथ शंकर महेश रुद्र नीलकंठ गंगाधार आदि के नामों से भी पुकारते हैं। आज हम महादेव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं जहां उनकी स्त्री रूप में पूजा होती है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Gopeshwar Mahadev: देवों के देव महादेव समस्त भारत में पूजनीय हैं। भगवान शिव की आराधना कई रूपों में की जाती है। भगवान शिव का शिवलिंग स्वरूप सबसे अधिक पूजा जाता है। अर्धनारीश्वर भी भगवान शिव का ही स्वरूप हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां भगवान शिव का स्त्री रूप पूजनीय है। यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां महादेव महिला के रूप में विराजते हैं। इसे गोपेश्वर महादेव के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर भगवान शिव को नारी का स्वरूप क्यों धारण करना पड़ा।
इसलिए धारण किया गोपी का रूप
भगवान शिव के स्त्री रूप धारण करने के पीछे बहुत ही मनमोहक कथा मिलता है। जब भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन में गोपियों के साथ रास लीला किया करते थे तो सभी देवता उसे देखने के लिए आतुर रहते थे। भगवान शिव के मन में भी इस महारास में भाग लेने की इच्छा उत्पन्न हुई। लेकिन जब वह रास देखने पहुंचे तो गोपियों ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि इस महारास में श्रीकृष्ण के साथ केवल महिलाएं भी ही भाग ले सकती हैं। लेकिन अपनी प्रबल इच्छा के चलते महादेव महारास में भाग लेने के लिए आतुर थे। इसलिए माता पार्वती ने उन्हें यमुना मैया के पास भेजा। महादेव की इच्छा को देखकर यमुना माता ने उनका गोपी के रूप में शृंगार किया। तब महादेव गोपी रूप में उस महारास में शामिल हुए, और इसका आनंद लिया।
कैसे स्थापित हुआ मंदिर
वृंदावन के गोपेश्वर महादेव के मंदिर में शिव गोपी रूप में विराजमान हैं। ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां महादेव का महिलाओं की तरह शृंगार किया जाता है। जब भगवान शिव ने गोपी रूप धारण करके महारास में हिस्सा लिया तो भगवान श्रीकृष्ण उन्हें पहचान गए। महारास के खत्म होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ मिलकर महादेव के गोपी रूप की पूजा की और उनसे इस रूप में ब्रज में ठहरने का आग्रह किया। महादेव ने अपने आराध्य के आग्रह को स्वीकार कर लिया। तब राधारानी ने उनके इस रूप को गोपेश्वर महादेव का नाम दिया। तब से आज तक महादेव का ये रूप वृंदावन में विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था।
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