Gopashtami 2025: गोपाष्टमी पर बन रहे हैं 2 शुभ संयोग, जानें किस मुहूर्त में पूजा करने से बरसेगी कृष्ण जी की कृपा
गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। 30 अक्टूबर 2025 को यह पर्व है, जब भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा की जाती है। यह भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना से संबंधित है। इस दिन रवि योग और शिववास योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में पूजा करने से साधकों को मनचाहा वरदान और अक्षय फल मिलता है।

Gopashtami 2025: गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 30 अक्टूबर को गोपाष्टमी है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा की जाती है। साथ ही गौमाता और बछड़ों की सेवा की जाती है। गोपाष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।

सनातन शास्त्रों में निहित है कि स्वर्ग नरेश इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इस मुद्रा में भगवान कृष्ण सात दिनों तक रह गए थे। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर स्वर्ग नरेश ने हार स्वीकार कर ली थी। आइए, गोपाष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
गोपाष्टमी 2025 तिथि और मुहूर्त (Gopashtami 2025 Date and Shubh Muhurat)
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत- 29 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 23 मिनट पर
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर
गोपाष्टमी 2025 शुभ योग (Gopashtami 2025 Date and Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग का संयोग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से बन रहा है। वहीं, समापन 31 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। ज्योतिष रवि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही हर मनोकामना पूरी होगी।
शिववास योग
गोपाष्टमी के दिन शिववास योग का भी संयोग है। शिववास योग बेहद दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस योग में पूजा करने से साधक को यथाशीघ्र शुभ फल मिलता है। शिववास योग का संयोग सुबह 10 बजकर 06 मिनट से हो रहा है। इस समय भगवान शिव कैलाश पर देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस दौरान भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा।
पंचांग
- सूर्योदय- सुबह 06 बजकर 32 मिनट से
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट तक
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट से 06 बजकर 03 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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