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    Gopashtami 2023: कब है गोपाष्टमी पर्व ? जानें इसका धार्मिक महत्व-पूजा विधि और मुहूर्त

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 12:40 PM (IST)

    Gopashtami 2023 हिन्दुओं के बीच गोपाष्टमी का खास महत्व है। यह दिन ब्रज गोकुल मथुरा वृन्दावन द्वारकाधीश और पुरी में अत्यंत श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। गोपाष्टमी के शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में शांति सुख और समृद्धि आती है।

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    Gopashtami 2023: गोपाष्टमी का महत्व- विधि और समय

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gopashtami 2023: गोपाष्टमी का सनातन धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्व है। यह दिन पूरी तरह से भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। गोपाष्टमी के इस पवित्र दिन पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है और उनकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से ब्रज में मनाया जाता है। गोपाष्टमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 20 नवंबर सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

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    गोपाष्टमी- तिथि और समय

    अष्टमी तिथि आरंभ - 20 नवंबर 2023 - 05:21

    अष्टमी तिथि समाप्त - 21 नवंबर 2023 - 03:16

    गोपाष्टमी का महत्व

    हिन्दुओं के बीच गोपाष्टमी का खास महत्व है। यह दिन ब्रज, गोकुल, मथुरा, वृन्दावन, द्वारकाधीश और पुरी में अत्यंत श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। गोपाष्टमी के शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। लोग इस पवित्र दिन पर गायों और बछड़ों की भी पूजा करते हैं और उन्हें घंटियों और कपड़ों से सजाते हैं।

    गोपाष्टमी पूजा विधि

    • साधक सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
    • अपने- अपने बछड़ों सहित गायों को स्नान कराएं।
    • साधक अपने घर की सफाई करें।
    • गाय और बछड़ों का रोली और चंदन से तिलक करें।
    • भगवान कृष्ण की एक प्रतिमा लें और मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
    • भोग प्रसाद- खीर, पूरी, सब्जी और हलवा का भोग तैयार करें।
    • एक लकड़ी की चौकी पर भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें और एक दीया जलाएं।
    • भगवान कृष्ण को माला और भोग प्रसाद चढ़ाएं।
    • फिर गाय को रोटी गुड़, फल और मिठाई खिलाएं।
    • अगर घर पर गायें नहीं हैं, तो गौशाला में यह अनुष्ठान कर सकते हैं।
    • गायों की पूजा करने के बाद ग्वालों को दक्षिणा दें।
    • अंत में भगवान कृष्ण और गौ माता से आशीर्वाद लें।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।