Gita Updesh: कब युद्ध करना हो जाता है जरूरी, जानिए क्या कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण
भगवत गीता में महाभारत की युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेश शामिल हैं। इसकी मदद से अर्जुन को युद्ध में एक योद्धा के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में सहायता मिली। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि व्यक्ति के लिए कब युद्ध करना जरूरी हो जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जब युद्ध की भूमि में अर्जुन अपने कर्तव्य और रिश्तों को लेकर असमंजस में था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसका मार्गदर्शन किया। भगवान भगवान श्रीकृष्ण ने उसे बताया कि किन परिस्थियों में युद्ध से पीछे हटना पाप के समान है। इस विषय में जानकर आप भी खुद के जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन कर सकते हैं।
क्या कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण
भगवत गीता के कई श्लोक धर्म, कर्तव्य, और कर्मफल के सिद्धांतों को प्रकाशित करते हैं। अर्जुन को युद्ध करने के लिए प्रेरित करते हुए, श्री कृष्ण कहते हैं, कि युद्ध एक आवश्यक कर्तव्य है, और उससे भागना पाप के समान है। यहां आप युद्ध को जीवन में आने वाली समस्याओं के तौर पर भी ले सकते हैं।
श्रीकृष्ण यह भी कहते हैं कि किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए युद्ध कभी भी पहला विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि युद्ध से सृजन से पहले विनाश होता है। किसी भी परिस्थित को पहले अहिंसापूर्वक सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए अगर युद्ध की आवश्यकता नहीं है, तो उसे टालने में ही भलाई है।
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कब जरूरी है युद्ध
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अन्याय होने पर भी आप कोई व्यक्ति मौन रहे और उसके खिलाफ कोई आवाज न उठाए, तो ऐसी परिस्थिति में अन्याय करने वालों की हिम्मत और भी बढ़ जाती है। जब आप सभी तरीकों से युद्ध को टालने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन पर काबू पाने के लिए युद्ध की एक आखिरी विल्कप बचा है, तो युद्ध अवश्य करना चाहिए। अगर युद्ध की आवश्यता होने पर भी आप उससे भागते हैं, तो आप पाप के भागीदार बनते हैं।
"हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥"
अर्थ - अर्जुन को समझाते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि युद्ध के दौरान यदि तुम वीरगति को प्राप्त होते हो, तो स्वर्ग को जाओगे, और यदि जीते हो तो धरती का सुख पाओगे। इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।" यहां भगवान कृष्ण अर्जुन को उनके कर्तव्यों का पालन करते हुए युद्ध के लिए प्रेरित करते हैं।
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