Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gita Jayanti 2020: 18 अध्याय, 700 श्लोक में समाया है दुनिया की हर समस्या का हल, ऐसी है भगवत गीता

    Gita Jayanti 2020 इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। वहीं इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है।

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 25 Dec 2020 11:59 AM (IST)
    Hero Image
    गीता जयंती विशेष : 18 अध्याय, 700 श्लोक में समाया है दुनिया की हर समस्या का हल

    Gita Jayanti 2020: इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। वहीं इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था। इसलिए इस उपलक्ष्य में मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद् भागवत गीता एक महान ग्रंथ है। गीता ग्रंथ सिर्फ लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं है बल्कि उसे पढ़कर उसके संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। भागवत गीता के चिंतन से अज्ञानता दूर होती है और मनुष्य का मन आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है। इसके पठन-पाठन और श्रवण से जीवन को एक नई प्रेरणा मिलती है। वहीं, इस दिन श्रीमद् भागवत गीताए भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेद व्यास का विधिपूर्वक पूजन करके गीता जयंती उत्सव मनाया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिलता है पितरों को मोक्ष: 

    इस व्रत की कथा, पूजन करने से यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान दामोदर का पूजन करने, उपवास रखने व रात्रि में जागरण कर श्री हरि का कीर्तन करने से महापाप का भी नाश हो जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत का फल पूर्वजों को भी प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्यों के लिए यह अत्यंत ही पुण्यकारी बताया गया है। यह एकादशी मुक्तिदायिनी तो है ही साथ ही इसे समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली भी माना जाता है।

    गीता जीवन ग्रंथ भी है:

    सोमेश्वर महादेव मंदिर मालवीय नगर के पंडित मदन मोहन शर्मा ने बताया कि गीता केवल एक धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि यह एक जीवन ग्रंथ भी है, जो हमें पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। शायद इसी कारण से हजारों साल बाद आज भी यह हमारे बीच प्रासंगिक है। मान्यता है कि द्वापर युग में त्रियोग के प्रवर्तक श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था, जो मोक्षदायक है। इसी कारण इस एकादशी का एक प्रचलित नाम मोक्षदा एकादशी भी है। यह दिन ‘गीता जयंती’ के रूप में भी प्रचलित है। धर्मज्ञों की राय में धार्मिक व आध्यात्मिक सिद्धांतों का प्रतिपादन ही गीता का मूल उद्देश्य है। कर्म और धर्म के महाकोष गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता त्रियोग, रजोगुण संपन्न ब्रह्मा से भक्ति योग, सतोगुण संपन्न विष्णु से कर्म योग और तमोगुण संपन्न शंकर से ज्ञान योग का ऐसा प्रकाश है, जिसकी आभा हर एक जीवात्मा को प्रकाशमान करती है। महाभारत अर्थात् ‘जय संहिता’ के 18 पर्व में भीष्म पर्व का अभिन्न अंग गीता है, जिसमें त्रियोग का सुंदर समन्वय मिलता है।

    व्रत कथा:

    सोमेश्वर महादेव मंदिर मालवीय नगर के पंडित मदन मोहन शर्मा ने बताया कि एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं। अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा। प्रात: राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न का भेद पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा कि हे राजन! इस संबंध में पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछो। राजा ने ऐसा ही किया। जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए। उन्होंने कहा कि हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है। अब तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और उसका फल अपने पिता को अर्पण करो तो उनकी मुक्ति हो सकती है। राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '