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    Geeta Jayanti 2024: कब मनाई जाएगी गीता जयंती? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

    Updated: Fri, 06 Dec 2024 04:18 PM (IST)

    गीता जयंती का दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस तिथि पर मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखने का विधान है। पंचांग के अनुसार 11 दिसंबर को गीता जयंती (Geeta Jayanti 2024 Shubh Muhurat) मनाई जाएगी। कहते हैं कि यह वही दिन है जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।

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    Geeta Jayanti 2024: गीता जयंती 2024 शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गीता जयंती का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन श्रीमद्भगवद्गीता के जन्म का प्रतीक है, जो हिंदुओं के पवित्र ग्रंथों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह (Geeta Jayanti 2024) 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं, तो आइए इस शुभ दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    गीता जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Geeta Jayanti 2024 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर, 2024 को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 12 दिसंबर, 2024 को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी।

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    गीता जयंती पूजन नियम (Geeta Jayanti 2024 Puja Vidhi)

    सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें। भगवान श्रीकृष्ण के सामने व्रत का संकल्प लें। मंदिर को साफ करें और भगवान कृष्ण की एक मूर्ति रखें। उनका पंचामृत से अभिषेक करें। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें और गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। देसी घी का दीया जलाएं। भगवान कृष्ण के वैदिक मंत्रों का जाप करें। भगवान को धनिया की पंजीरी, पंचामृत व केसर की खीर का भोग लगाएं।

    भोग में तुलसी पत्र अवश्य डालें। भगवत गीता के श्लोक का पाठ करें। इसके अलावा भगवान कृष्ण के मंदिरों में दर्शन के लिए जाएं। इस दिन तामसिक चीजों से पूरी तरह परहेज करें।

    गीता जयंती पर करें इन श्लोक का पाठ (Bhagwat Geeta Shlok)

    1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

    मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

    2.ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

    सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।