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    Geeta Jayanti 2021: गीता जयंती पर इस शहर में लगता है भव्य मेला, जानें-इसका महात्म

    By Umanath SinghEdited By:
    Updated: Fri, 10 Dec 2021 11:35 AM (IST)

    Geeta Jayanti 2021 सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में परम मित्र अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। इसके लिए गीता जयंती का विशेष महत्व है। इस उपलक्ष्य पर देश के कई जगहों पर गीता मेला का आयोजन किया जाता है।

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    Geeta Jayanti 2021: गीता जयंती पर इस शहर में लगता है भव्य मेला, जानें-इसका महात्म

    Geeta Jayanti 2021: 14 दिसंबर को गीता जयंती है। यह हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है। इतिहासकारों की मानें तो साल 2021 गीता उपदेश का 5159 वां वर्ष है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में परम मित्र अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। इसके लिए गीता जयंती का विशेष महत्व है। इस उपलक्ष्य पर देश के कई जगहों पर गीता मेला का आयोजन किया जाता है। खासकर कुरुक्षेत्र में विश्व स्तरीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष 2 दिसंबर से 19 दिसंबर तक गीता महोत्स्व चलेगा। इसके अंतर्गत गीता उपदेश का नाट्य रूपांतरण, गीता मैराथन, प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। दुनियाभर से श्रद्धालु गीता महोत्स्व में शामिल होने आते हैं। आइए, गीता जयंती के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    महत्व

    सनातन धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है। इस ग्रंथ की महत्ता न केवल भारतवर्ष बल्कि दुनियाभर में है। रूस में भगवान श्रीकृष्णजी को मानने वाले अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है। महाकाव्य गीता के रचनाकार वेदव्यास हैं। सर्वप्रथम महाभारत काल में कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को उपदेश दिया था। कालांतर से यह क्रम चलता रहा। आज ग्रंथ रूप में गीता उपदेश संकलित है। जीवन जीने का उचित और उत्तम मार्ग प्रशस्तक ग्रन्थ गीता है। इस ग्रंथ का अध्ययन और अनुसरण कर कालांतर से वर्तमान समय तक भगवत धाम की प्राप्ति होती है।

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    - DPR Haryana (@diprharyana) 9 Dec 2021

    पूजा विधि

    गीता जयंती के दिन ब्रह्म बेला में उठकर भगवान श्रीविष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर ॐ गंगे हर हर गंगे का मंत्रोउच्चारण कर आमचन करें। अब स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा पीले फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा आदि चीजों से करें। साधक के पास पर्याप्त समय है, तो गीता पाठ जरूर करें। अंत में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'