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    Gayatri Jayanti 2024: इस आरती से करें देवी गायत्री की पूजा, सभी कार्य में मिलेगी सफलता

    Updated: Sun, 09 Jun 2024 01:31 PM (IST)

    गायत्री जयंती के दिन माता गायत्री ज्ञान के रूप में प्रकट हुई थीं। ऐसे में जो लोग इस शुभ अवसर पर मां की आराधना करते हैं उन्हें कभी न खत्म होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस साल गायत्री जयंती 17 जून को मनाई जाएगी। अगर आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन उनकी विधि अनुसार पूजा करें।

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    Gayatri Jayanti 2024: गायत्री माता की आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गायत्री जयंती का पर्व हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देवी गायत्री की पूजा होती है। देवी गायत्री को सभी वेदों की माता कहा जाता है और उन्हें वेद माता के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन देवी गायत्री ज्ञान के रूप में प्रकट हुई थीं। ऐसे में जो लोग इस शुभ अवसर पर मां की आराधना करते हैं उन्हें कभी न खत्म होने वाले ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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    साथ ही जीवन कल्याण की ओर अग्रसर होता है। इस साल गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti 2024) 17 जून को मनाई जाएगी। अगर आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन उनकी विधि अनुसार पूजा करें। इसके साथ ही पूजा का समापन आरती से करें।

    ।।गायत्री माता की आरती।।

    जयति जय गायत्री माता,

    जयति जय गायत्री माता ।

    सत् मारग पर हमें चलाओ,

    जो है सुखदाता ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक क‌र्त्री ।

    दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।

    भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।

    अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।

    सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।

    कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।

    जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।

    यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।

    विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।

    शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥

    ॥ जयति जय गायत्री माता..॥

    जयति जय गायत्री माता,

    जयति जय गायत्री माता ।

    सत् मारग पर हमें चलाओ,

    जो है सुखदाता ॥

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।