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    Garuda Purana: वैतरणी नदी पार करने के बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, गरुड़ पुराण से जानें इसका भयानक स्वरूप

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Wed, 25 Jan 2023 12:21 AM (IST)

    Garuda Purana हिन्दू धर्म में गरुड़ पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। गरुड़ पुराण में जीवन और मरण के साथ-साथ धर्म-अधर्म व मोक्ष के विषय में भी विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं कैसा होता है योमलोक का रास्ता?

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    Garuda Purana: गरुड़ पुराण से जानिए, कैसा होता है यमलोक का मार्ग?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Garuda Purana: गरुड़ पुराण में जीवन एवं मरण के विषय में विस्तार से बताया गया है। सनातन धर्म में इस महापुराण का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि गरुड़ पुराण को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने अपने प्रिय वाहन गरुड़ देव को मनुष्य के मोक्ष का मार्ग बताया है। साथ ही यह भी बताया है की मृत्यु के बाद एक आत्मा को किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। बता दें कि गरुड़ पुराण में यमलोक और इसके मार्ग के विषय में भी विस्तार से चर्चा की गई है। लेकिन, क्या आप यमलोक का मार्ग कैसा होता है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।

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    गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक के मार्ग में पढ़ती है 2 नदियां

    गरुड़ पुराण में बताया गया है यमलोक जाने के मार्ग में वैतरणी एवं पुष्पोदका नदी पड़ती है। इन दोनों में वैतरणी नदी को सबसे भयावह माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस नदी में खून बहता है। साथ ही नदी के तट पर हड्डियों का ढेर लगा रहता है, जिन्हें पापी लोगों को पार करना होता है। जिन लोगों के परिजन मृत्यु के बाद विधिवत कर्मकांड करते हैं, वह इस नदी को आसानी से पार कर लेते हैं और बाकी आत्माएं इस नदी में डूबती रहती हैं और पार करने के लिए संघर्ष करती हैं। यह नदी पापियों को देखकर और अधिक उग्र हो जाती है और इसका रक्त खोलने लगता है। इस नदी को देखकर आत्माएं डर से कांपने लगती हैं।

    कर्मों के अनुसार मिलती है सहायता

    जिन लोगों के परिजन मृत्यु के बाद सभी कर्मकांड को विधिवत पूरा करते हैं, वह इस नदी को नाव पर बैठकर पार करते हैं। इसके साथ आत्मा को इस नाव पर बैठने के लिए जीवन में किए गए पुण्य की सहायता भी मिलती है।

    यमलोक पहुंचने पर मिलती है पुष्पोदका नदी

    यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा पुष्पोदका नदी के किनारे बैठकर विश्राम करती है। इस नदी का जल बहुत स्वच्छ होता है और इसके किनारे बड़े-बड़े वृक्ष लगे होते हैं। पुष्पोदका नदी के माध्यम से ही परिजनों द्वारा किया गया पिंडदान व तर्पण का भोजन प्राप्त होता है, जिससे आत्मा को शक्ति प्राप्त होती है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।